हिसार: फार्मास्युटिकल साइंसिज की मनुष्य के स्वास्थ में अहम भूमिका: प्रो. नरसी राम
फार्मास्युटिकल प्रौद्योगिकी एवं संबद्ध विज्ञान में उभरते लक्ष्य एवं चुनौतियां विषय पर अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस शुरू
हिसार, 20 मार्च (हि.स.)। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा है कि फामास्युटिकल साइंसिज की मनुष्य के स्वास्थ्य में अहम भूमिका है। फार्मास्युटिकल साइंसिज का क्षेत्र मानव जीवन को बेहतर बनाता है। इस क्षेत्र पर समाज की विशेष जिम्मेदारी है। वे बुधवार को 'फार्मास्युटिकल प्रौद्योगिकी एवं संबद्ध विज्ञान में उभरते लक्ष्य एवं चुनौतियां' विषय पर शुरु हुई दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। इस अवसर पर कॉन्फ्रेंस की स्मारिका का विमोचन किया गया।
कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि 2047 तक विकसित भारत के सपने को पूरा करने में फार्मास्युटिकल साइंसिज की भूमिका अहम होगी। उन्होंने कहा कि मानव जीवन को बचाने तथा स्वस्थ बनाए रखने के लिए फार्मास्युटिकल साइंसिज क्षेत्र सराहनीय कार्य कर रहा है। कोरोना काल में भी इस क्षेत्र ने दवाइयों का निर्माण करके पूरे विश्व को लाभान्वित किया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान तेजी से बदलते वैश्विक परिवेश में इस क्षेत्र से जुड़े प्रतिभागियों के समक्ष चुनौतियां भी हैं। विद्यार्थियों व शोधार्थियों को इन चुनौतियों का समाधान करके आगे बढ़ना होगा। इस क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। शोधार्थियों को नए-नए शोध करके जीवनरक्षक दवाईयों की खोज करनी होगी जो कि समाज के सभी वर्गों की पहुंच में हों।
कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि 15वीं सदी के संत एवं महान पर्यावरणविद गुरु जम्भेश्वर जी महाराज के नाम पर स्थापित यह विश्वविद्यालय 372 एकड़ में फैला हुआ है। स्थापना के समय जहां इस विश्वविद्यालय में केवल 18 पेड़ थे, जबकि आज इस विश्वविद्यालय का परिसर 50 हजार पेड़ों के साथ हरा-भरा है। इस विश्वविद्यालय में 76 यूजी व पीजी पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। यह विश्वविद्यालय शोध आधारित विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है। विश्वविद्यालय के 19000 साइटेशंस हैं। विश्वविद्यालय का एच-इंडेक्स 121 है। विश्वविद्यालय की उन्नति में फार्मास्युटिकल विभाग अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। विश्वविद्यालय के फार्मास्युटिकल विभाग का एच-इंडेक्स 53 है, जो कि सराहनीय है।
मुख्य वक्ता प्रो. अनिल कुमार शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उभरते फार्मासिस्टस से बातचीत करना एक अत्यंत उत्साहवर्धक एवं प्रोत्साहित करने वाला क्षण है। वर्तमान समय में फार्मास्युटिकल साइंसिज के औद्योगिक पहलुओं पर ध्यान देने के साथ-साथ समाज के उपचार में नैतिक दृष्टिकोण लाना होगा। कॉन्फ्रेंस के सह-समन्वयक प्रो. डीसी भट्ट ने अतिथियों का धन्यवाद किया जबकि मंच संचालन डा. सोनाली व डा. समृधि ने किया। इस अवसर पर संकायों के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, शोधार्थी, विद्यार्थी व गैरशिक्षक कर्मचारी उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव
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