हिसार: मन की लिखूं तो शब्द रूठ जाते हैं, सच लिखूं तो अपने रूठ जाते हैं...

हिसार: मन की लिखूं तो शब्द रूठ जाते हैं, सच लिखूं तो अपने रूठ जाते हैं...
WhatsApp Channel Join Now
हिसार: मन की लिखूं तो शब्द रूठ जाते हैं, सच लिखूं तो अपने रूठ जाते हैं...


बजम-ए-अदब की काव्य गोष्ठी आयोजित

हिसार, 29 अप्रैल (हि.स.)। बजम-ए-अदब की मासिक काव्य गोष्ठी सोमवार को बलजीत बेनाम की अध्यक्षता में अणुव्रत कार्यालय मंडी रोड पर आयोजित की गई। मंच संचालन जयभगवान लाडवाल ने किया, जबकि गोष्ठी के मुख्य अतिथि राजेन्द्र अग्रवाल रहे।

काव्य गोष्ठी में जयभगवान लाडवाल ने अपनी काव्य रचना प्रस्तुत की ‘चुनाव आते जाते रहते है दोस्त-चुनाव में भाईचारा नहीं बिगडऩा चाहिए।’ गीतकार बलजीत बेनाम ने सुनाया ‘शायरी जहर है जानते थे मगर, लोग पिलाते रहे हम पीते रहे।’ अशोक गर्ग ने किसान पर मार्मिक रचना सुनाई ‘सो जाता है वो भूखा बेचारा अन्न उगाने वाला।’

राजेन्द्र अग्रवाल ने अपनी रचना ‘मन की लिखूं तो शब्द रूठ जाते हैं, सच लिखूं तो अपने रूठ जाते हैं’ प्रस्तुत की। मधुर ने सुनाया ‘बैराग की इस दुनिया में उम्मीद का राग फैलाते हैं हम, लड़ते हैं हम, लडक़े ही कुछ पाते हैं हम।’ विनोद जैन ने अणुव्रत गीत द्वारा काव्य रचना प्रस्तुत की। काव्य गोष्ठी में ऋषि सक्सेना, नरेश पिंगल, विनोद जैन, पी पी शर्मा, इंद्रेश पांडे आदि उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story