हिसार की आबोहवा पहुंची खतरनाक स्तर पर, 458 पर पहुंचा एक्यूआई

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हिसार की आबोहवा पहुंची खतरनाक स्तर पर, 458 पर पहुंचा एक्यूआई


सांस लेने की आ रही दिक्कत, चिकित्सक दे रहे मरीजों को सलाह

हिसार, 3 नवम्बर (हि.स.)। त्योहारी सीजन शुरू होने के साथ ही जिले की आबोहवा खतरनाक स्थिति में पहुंच गई है। इस समय जिले का एक्यूआई 458 के स्तर से उपर पहुंच गया है, जिससे सांस लेने में भी दिक्कत महसूस होने लगी है।

हिसार का एयर क्वालिटी इंडेक्स यानि एक्यूआई का लेवल 458 पर पहुंच गया है, जो बेहद खतरनाक स्तर पर माना जा रहा है। देश के विख्यात शहरों में एक्यूआई के लेवल की बात की जाएं तो नोएडा के बाद हिसार शुक्रवार को देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा। नोएडा का एक्यूआई 490 रहा, जबकि हिसार का एक्यूआई लेवल 458 दर्ज किया गया। एक्यूआई को लेवल इतना अधिक बढ़ने के कारण जनजीवन पर व्यापक असर पड़ा है। लोगों को सांस लेने और आंखों में जलन में दिक्कत महसूस हुई।

हिसार का एक्यूआई लेवल तीन दिनों से 400 के पार चल रहा है, जो कि गुरुवार को 427 व शुक्रवार को 458 हो गया। दिनभर धुंआ छाया रहा, लोगों को सांस लेने में दिक्कत तथा आंखों में जलन महसूस की। स्मॉग के चलते सरकारी व निजी अस्पतालों में ओपीडी में एकाएक वृद्धि हुई है। अस्थमा, एलर्जी व हार्ट के मरीजों की संख्या ज्यादा बढ़ी है। चिकित्सकों की मानें तो आसमान में छाया यह धुआं सुबह और शाम के समय शरीर पर ज्यादा असर डालता है। ऐसे में सैर न करना ही सेहत के लिए फायदेमंद है। अस्थमा और एलर्जी के मरीज संभव हो तो कम से कम घर से बाहर निकले और बाहर निकलें तो मास्क का प्रयोग करें।

पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार प्रदूषण का स्तर बढ़ने से कार्बन डाई आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड व सल्फर डाई आक्साइड की मात्रा अधिक हो जाती है और आक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। इससे सांस लेने में दिक्कत होती है। सांस व त्वचा संबंधी रोगियों को ज्यादा दिक्कत होती है। दृश्यता भी कम हो जाती है, आंखों में जलन होती है।

समझे क्या है पीएम 2.5 व पीएम 10

पर्टिकुलेट मैटर यानि पीएम-10 : वो कण हैं, जिनका व्यास 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होता है। ये कण हवा में आक्सीजन को प्रभावित करते हैं। जब इन कणों का स्तर वायु में बढ़ जाता है तो सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन इत्यादि समस्याएं होने लगती हैं। पीएम-10 के बढ़ने का कारण आंधी के अलावा आगजनी और फैक्टरियों से निकलने वाला धुआं आदि भी होता है।

पीएम 2.5 : वे छोटे कण जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या कम होता है। यह कण ठोस या तरल रूप में वातावरण में होते हैं। इसमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण शामिल हैं।

एक्यूआई का ग्राफ

0 से 5 अच्छी

51 से 100 संतोषजनक

101 से 200 मध्यम

201 से 300 खराब

301 से 400 बेहद खराब

401 से 500 खतरनाक

500 से ऊपर आपातकाल

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव

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