ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा न कराने के विरोध में कांग्रेस ने किया वाकआउट

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ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा न कराने के विरोध में कांग्रेस ने किया वाकआउट


- हुड्‌डा का आरोप, विपक्ष को दबाने की कोशिश

चंडीगढ़, 22 दिसंबर (हि.स.)। हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन साेमवार काे कांग्रेस ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, काम रोको प्रस्ताव और शार्टटर्म नोटिस पर चर्चा न कराने के विरोध में वाकआउट किया। प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा ने मुद्दा उठाया कि कांग्रेस की ओर से ज्वंलत मुद्दों पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव सहित कई काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा की मांग की थी, लेकिन उन्हें सभी को खारिज कर दिया गया।

स्पीकर हरविंद्र कल्याया की ओर से जवाब दिया गया कि सभी नियमों के तहत हुआ है और अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सभी विषय आ चुके हैं।

नेता प्रतिपक्ष की ओर से जवाब दिया कि विपक्ष को दबाने की कोशिश की जा रही है, इसके विरोध में कांग्रेस की ओर से वाकआउट किया गया।

विधानसभा सभा मीडिया गैलेरी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा ने आरोप लगाया सरकार जनहितैषी मुद्दों पर चर्चा करने से भाग रही है। ऐसा पहली बार हुआ है कि विपक्ष की ओर से दिए गए किसी भी विषय पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, काम रोको प्रस्ताव और शार्ट टर्म नोटिस पर चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस की ओर से धान घोटाला, कानून व्यवस्था, एसवाईएल, हरियाणा का चंडीगढ़ पर अधिकार, हरियाणा को विस की जमीन न देने सहित कई अन्य मुद्दों पर चर्चा का नोटिस दिया गया था, जिन पर चर्चा नहीं कराई गई।

इसके साथ ही अरावली पर शार्टटर्म नोटिस दिया गया था, इस विषय पर भी सरकार की ओर से कोई चर्चा नहीं कराई गई। वहीं, मनरेगा को बंद करने पर भी चर्चा कराने के लिए नोटिस दिया गया था।

उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की ओर से विपक्ष द्वारा जो मुद्दे उठाए गए थे, उनमें किसी भी विषय का विपक्ष की ओर से जवाब नहीं दिया गया। विपक्ष सरकार से पूछना चाहता है कि हरियाणा का चंडीगढ़ पर कितना अधिकार है, क्योंकि केंद्र सरकार की ओर से चंडीगढ़ में नई विधानसभा बनाने की मांग को खारिज किया गया है। यही नहीं, विपक्ष की ओर से एसवाईएल के विषय पर भी सरकार से जबाव मांगना था। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में एसवाईएल पर फैसला दिया था, उस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सर्वदलीय बैठक की थी, जिसमें प्रधानमंत्री से मिलने का फैसला लिया था और उनकी ड्यूटी तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की लगाई गई थी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की गई, लेकिन भाजपा सरकार आज तक प्रधानमंत्री से मिलने का समय नहीं ले पाई।

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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा

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