हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में 17 घंटे चली कार्यवाही, चार विधेयक पारित
शीतकालीन सत्र में 64 सदस्यों ने रखी अपनी बात
चंडीगढ़, 20 दिसंबर (हि.स.)। तीन दिन तक चले हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान कुल 16 घंटे 59 मिनट सदन की कार्यवाही चली। सदन में 64 विधानसभा सदस्यों ने अपनी बात रखी। 15 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चले शीतकालीन सत्र में चार विधेयक पारित किए गए। इस बार 851 दर्शकों ने सत्र की कार्यवाही देखी। इनमें से 595 स्कूली बच्चे और स्टाफ शामिल रहा।
विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में बताया कि इस बार सत्र का विशेष आकर्षण राज्य गीत के चयन के लिए आया एक सरकारी प्रस्ताव रहा। इस प्रस्ताव के साथ तीन प्रस्तावित गीत भी सदन भी सुनाए गए। गीतों पर चर्चा के बाद चयन के लिए विधायकों की एक कमेटी का गठन किया गया है। जींद जिला के एक स्कूल प्रधानाचार्य के छात्राओं के यौन शोषण संबंधी आरोपों की जांच के लिए भी सदन ने एक समिति का गठन किया है। संसदीय कार्य मंत्री कंवरपाल की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में विधायक भारत भूषण बत्रा, असीम गोयल और अमरजीत ढांडा को सदस्य नामित किया गया है। हरियाणा के महाधिवक्ता बलदेव राज महाजन इस कमेटी में विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे।
विधानसभा अध्यक्ष ने सत्र की कार्यवाही पर जारी रिपोर्ट में बताया कि तीनों दिन आयोजित प्रश्नकाल के दौरान 60 तारांकित प्रश्न कार्यवाही का हिस्सा बने, जिनमें से 41 प्रश्नों के जवाबों पर सदन में चर्चा हुई। कुल 47 विधायकों के तारांकित सवाल इस सत्र में शामिल किए गए, इनमें भाजपा 16, कांग्रेस के 23, जजपा के 3, इनेलो के 1 तथा 4 निर्दलीय विधायक शामिल रहे। इनके अलावा 97 अतारांकित प्रश्न भी कार्यवाही का हिस्सा बने।
उन्होंने बताया कि तीनों दिन शून्यकाल की कार्यवाही 4 घंटे 55 मिनट चली। इस दौरान कुल 64 विधायकों ने भाग लिया। इनमें भाजपा के 26 विधायक, जजपा के 5, कांग्रेस 27, इनेलो के 1 और निर्दलीय 5 विधायक शामिल रहे। शीतकालीन सत्र के लिए 62 ध्यानाकर्षण सूचनाएं प्राप्त हुई थीं। इनमें 13 ध्यानाकर्षण प्रस्तावों पर चर्चा हुई। इसी प्रकार स्थगन प्रस्ताव के लिए 1 सूचना प्राप्त हुई थी, जिसे ध्यानाकर्षण प्रस्तावों में तब्दील कर दिया गया। दो गैर सरकारी प्रस्ताव भी आए थे, जिन्हें अस्वीकृत कर दिया गया। अल्प अवधि चर्चा के लिए तीन प्रस्ताव मिले थे, इन्हें भी अस्वीकृत कर दिया गया। नियम 84 के तहत चर्चा के लिए भी एक प्रस्ताव आया था, जिसे अस्वीकृत कर दिया गया।
हिन्दुस्थान समाचार/संजीव/सुनील
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