भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष हुए आमने-सामने
भ्रष्टाचार में सबसे आगे पुलिस तो दूसरे नंबर पर तहसीलें
नौ वर्षों में 1536 केस दर्ज, एसीबी ने दर्ज किए 1140 मामले
चंडीगढ़, 19 दिसंबर (हि.स.)। हरियाणा के सरकारी विभागों में फैले भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मंगलवार को विधानसभा में सरकार और विपक्ष आमने-सामने हो गए। शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन इनेलो विधायक अभय चौटाला तथा कांग्रेस विधायक जगबीर मलिक ने आज इस मुद्दे पर सवाल लगाते हुए सरकार से विस्तृत रिपोर्ट की मांगी। अभय चौटाला ने जब नगर निगम और नगर परिषदों के कथित घोटालों पर सरकार को घेरा तो सीएम मनोहर लाल खट्टर ने उन पर पलटवार किया। सीएम ने दो-टूक कहा, केवल शिकायत से घोटाला साबित नहीं हो जाता।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टचार के मामले में सरकार काफी सख्त है। इस तरह के मामले सामने आते ही उन पर कार्रवाई की जाती है। भ्रष्टाचार की कोई शिकायत आती है, तो सबसे पहले एफआईआर दर्ज की जाती है, उसके बाद जांच होती है और जांच के बाद पता चलता है कि क्या कार्रवाई की जानी है। इसलिए केवल शिकायत आने से यह कह देना कि कोई घोटाला हुआ है, यह पूरी तरह से गलत है।
एफआईआर दर्ज होने, जांच होने के बाद मामलों का ट्रायल होता है और तब पता चलता है कि घोटाला हुआ या नहीं। किसी मामले में यह पता लगता है कि घोटाला हुआ है, तो सरकार संबंधित के विरुद्ध अवश्य कार्रवाई करेगी। इससे पहले गृह मंत्री अनिल विज ने सदन को रिपोर्ट दी कि पिछले नौ वर्षों में भ्रष्टाचार से जुड़े 1536 केस दर्ज किए हैं। इनमें से 1140 मामले एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) तथा 396 मामले हरियाणा पुलिस द्वारा दर्ज किए गए। विज की रिपोर्ट के हिसाब से प्रदेश में सबसे अधिक भ्रष्टाचार के मामले पुलिस विभाग में ही सामने आए हैं। नौ वर्षों में पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार के कुल 396 केस दर्ज हुए।
इस मामले में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग दूसरे पायदान पर है। यानी तहसीलों में भी भ्रष्टाचार रुक नहीं रहा है। इस अविध में रेवन्यू विभाग के 245 मामले सामने आए। शहरी स्थानीय निकाय में 88, बिजली विभाग में 130, स्वास्थ्य सेवाओं में 56, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण में 21, होम गार्ड विभाग में 17, शिक्षा विभाग में 51, आबकारी एवं कराधान विभाग में 33, विकास एवं पंचायत विभाग में 35, कृषि विभाग में 10 तथा प्रशासनिक एवं न्याय विभाग में भ्रष्टाचार के 12 मामले दर्ज हुए हैं।
इसी तरह से खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में 44, मार्केटिंग बोर्ड में 18, वन विभाग में पंद्रह, सिंचाई विभाग में 12, पशुपालन विभाग में 9, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग में 17, पीडब्ल्यूडी (भवन एवं सडक़ें) में 11 मामले दर्ज हुए हैं। इसी तरह से 29 मामले नॉन-डिपार्टमेंटल हैं। गृह मंत्री अनिल विज ने दावा किया कि पिछले 5 साल में 261 मामले आए और 124 को कनविक्शन हुई। 137 की एक्विटल (रिहाई) हुई और कनविक्शन रेट 47.5 प्रतिशत है। पुराने समय में केस पकड़े नहीं जाते थे लेकिन हमने स्टाफ बढ़ाया है। साधन बढ़ाए हैं, भ्रष्टाचारियों को पकड़ा जा रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार/संजीव/दधिबल
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