पांच सौ करोड़ के बकाया भुगतान अटकने पर राइस मिलर्स ने दी चेतावनी, अगले सीजन से नहीं करेंगे मिलिंग

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पांच सौ करोड़ के बकाया भुगतान अटकने पर राइस मिलर्स ने दी चेतावनी, अगले सीजन से नहीं करेंगे मिलिंग


उत्तरी हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री काे भेजा ज्ञापन

मंडियों में आएगा 15 सितंबर से नया धान, गोदाम में भरे हैं पुराने चावल

चंडीगढ़, 29 अगस्त (हि.स.)। हरियाणा में सरकारी खरीद एजेंसियों से धान लेकर चावल देने वाले राइस मिलर्स के पांच साै करोड़ रुपये से अधिक की राशि सरकार के पास अटकी है। अंबाला, यमुनानगर और पंचकूला के पांच साै से अधिक राइस मिलर्स ने चेतावनी दी है कि बकाया भुगतान न होने और व्यवस्थाएं ठीक न होने पर आगामी सीजन में धान की मिलिंग नहीं करेंगे। इस संबंध में उत्तरी हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री नायब सैनी और संबंधित अधिकारियों को एक ज्ञापन भी सौंपा है।एसोसिएशन के प्रधान सतपाल गुप्ता, सचिव विशाल अरोड़ा और कोषाध्यक्ष राहुल अग्रवाल ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि भारतीय खाद्य निगम, हैफेड और हरियाणा भंडारण निगम द्वारा समय पर चावल लिफ्टिंग न होने के कारण राइस मिलर्स को भारी घाटा हो रहा है। पिछले 20 वर्ष से कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) का कार्य कर रहे मिलर्स आज बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। उन्हाेंने बताया कि वर्ष 2020-21 से अब तक पिछले चार सीजन के करीब पांच साै करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया जा रहा, जिसमें अनलोडिंग का खर्च, स्टैकिंग, ट्रांसपोर्टेशन किराया आदि शामिल है। पिछले साल सरकारी गोदामों में जगह न होने के कारण चावल की डिलीवरी लेट हुई, जिससे मिलर्स को बहुत ज्यादा आर्थिक नुकसान हुआ। आज भी करीब ढाई लाख टन राइस की डिलीवरी पेंडिंग है। ऐसे में उत्तरी हरियाणा के राइस मिलर्स आगामी सीजन में सीएमआर का कार्य करने में असमर्थ हैं।

एसोसिएशन पदाधिकारियों ने मांग की कि बकाया राशि का भुगतान तुरंत किया जाए। चावल लगाने के लिए गोदाम खाली कराए जाएं। मिलिंग चार्जेज 10 रुपये प्रति क्विन्टल से बढ़ा कर छत्तीसगढ़ जैसे राज्य की तर्ज पर 120 रुपये प्रति क्विंटल किया जाए। सीएमआर डिलीवरी के लिए चावल के उत्पादन की मात्रा 67 प्रतिशत से घटा कर 62 प्रतिशत और टूटे चावल की मात्रा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत की जाए। सूखे की मात्रा आधा प्रतिशत से बढ़ाकर दो प्रतिशत की जाए। बारदाना खर्च बिना बिल के 14.19 रुपये प्रति क्विंन्टल के हिसाब से मिले। राइस मिल से गोदाम तक चावल लगाने का उचित किराया मिलना चाहिए। अगर राइस मिलर्स अपने शेलर में धान रखता है तो उसका भी किराया मिलना चाहिए। एसोसिएशन पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि अगर मांगें नहीं मानी तो सरकारी खरीद एजेंसियों से कोई एग्रीमेंट या रजिस्ट्रेशन नहीं करेंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा

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