हिमाचल की हरी झंडी मिलते ही शुरू होगा आदी ब्रदी बांध पर निर्माण

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- सरस्वती बोर्ड के प्रयासों से हिमाचल प्रदेश से फॉरेस्ट क्लीयरेंस को लेकर तेजी से चल रहा कार्य

- सरस्वती बोर्ड के उपाध्यक्ष के साथ हुई हिमाचल प्रदेश के वन विभाग के अधिकारियों की बैठक

चंडीगढ़, 13 मई (हि.स.)। सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने के लिए प्रदेश सरकार पूरी तरह गंभीर है। हिमाचल में सोम नदी पर बांध बनाने की कवायद अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। हरियाणा सरस्वती विरासत विकास बोर्ड के प्रयासों के चलते हिमाचल प्रदेश से फारेस्ट क्लीयरेंस को लेकर कार्य तेजी से चल रहा है। वन विभाग से हरी झंडी मिलते ही बांध बनाने का काम शुरू होगा।

जनवरी माह में हिमाचल प्रदेश और हरियाणा सरकार के के बीच सोम नदी पर आदी ब्रदी बांध के निर्माण को लेकर एमओयू हो चुका है। इसी कड़ी में सरस्वती बोर्ड के डिप्टी चेयरमैन धुम्मन सिंह किरमिच ने सोमवार को सरस्वती नदी के पुन:प्रवाह की कवायद को आगे बढ़ाते हुए हिमाचल प्रदेश के अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में फारेस्ट क्लीयरेंस के बिदुंओं पर चर्चा हुई।

फारेस्ट क्लीयरेंस के लिए हिमाचल प्रदेश की ओर से नोडल अधिकारी संजय सूद व नाहन जिला डीएफओ मौजूद रहे, जिसमें वन विभाग एनओसी को लेकर आ रही अचड़नों पर विचार-विर्मश किया गया। हिमाचल के अधिकारियों की ओर से आश्वासन दिया गया कि सोम नदी पर डैम की जल्द ही फारेस्ट क्लीयरेंस हो जाएगी।

हरियाणा सरस्वती बोर्ड के डिप्टी चेयरमैन धुम्मन सिंह ने बताया कि सरस्वती बोर्ड ने हिमाचल प्रदेश को 33 हेक्टेयर ज़मीन वन लगाने के लिए दी है, जिससे हिमाचल के साथ यह करार सम्पन्न हुआ। सरस्वती डैम के लिए यह आख़िरी क्लेरेंस है, जो जल्द हो जाएगी। सरस्वती नदी पर बनने वाले डैम को लेकर भी दोनों प्रदेशों की सरकारें गंभीर है। डैम बनने से हिमाचल प्रदेश के साथ पंचकूला, यमुनानगर व कुरुक्षेत्र सहित अन्य जिलों के किसानों को फायदा होगा, सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता बढ़ेगी।

यह है प्रोजेक्ट

आदिबद्री बांध हिमाचल की 31.66 हेक्टेयर भूमि पर बनाया जाएगा। चौड़ाई 101.06 मीटर व ऊंचाई 20.5 मीटर होगी। 215.33 करोड़ रुपये की लागत आएगी। बांध में हर वर्ष 224.58 हेक्टेयर मीटर पानी का भंडारण होगा। 61.88 हेक्टेयर मीटर पानी हिमाचल व शेष करीब 162 हेक्टेयर मीटर पानी हरियाणा को मिलेगा। इस पानी को सरस्वती नदी में प्रवाहित किया जाएगा। बांध बनने से यमुनानगर जिले के दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में आने से बचेंगे, वहीं सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो सकेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/संजीव/प्रभात

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