हरियाणा विधानसभा में किसानों के मुद्दे पर हंगामा

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-खरीफ फसल नुकसान मुआवजा और पीएमएफबीवाई क्लेम पर विवाद-विधायकों ने बरसात से फसल नुकसान और बीमा क्लेम का मुद्दा उठाया

-सरकार ने गिरदावरी को बताया सही, नहीं होगी दोबारा गिरदावरी

चंडीगढ़, 19 दिसंबर (हि.स.)। हरियाणा विधानसभा में शुक्रवार को किसानों के मुद्दे पर सरकार तथा विपक्ष आमने-सामने हो गए। एक ओर खरीफ-2025 में भारी बारिश और जलभराव से हुई फसल तबाही और उसके मुआवजे का सवाल उठा, तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत वर्षों से लंबित बीमा क्लेम पर विपक्ष ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया। दोनों ही मामलों में आंकड़ों की भरमार, जिलावार विवरण और सरकारी कार्रवाई का आश्वासन सामने आया, लेकिन सवाल यह रहा कि खेत में नुकसान झेल चुके किसान तक राहत समय पर क्यों नहीं पहुंच पा रही। प्रश्नकाल के दौरान राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री विपुल गोयल ने सदन को बताया कि वर्ष 2025 में अत्यधिक बारिश से नुकसान केवल खरीफ-2025 की फसलों को हुआ।

प्रभावित किसानों के लिए 14 अगस्त से ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला गया और बाद में 15 सितंबर तक इसे राज्य के सभी गांवों के लिए खोल दिया गया। सत्यापन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद 10 दिसंबर को सरकार ने 1,20,380 एकड़ में सत्यापित क्षतिग्रस्त क्षेत्र के लिए कुल 116.16 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि जारी की। इस राशि से 55,076 किसानों को राहत दी गई। यह मुद्दा नूंह विधायक आफताब अहमद ने उठाया था।

जिलावार आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा मुआवजा चरखी दादरी, हिसार, भिवानी और सिरसा जैसे जिलों में गया, जहां हजारों एकड़ फसल बारिश की भेंट चढ़ी । मंत्री ने कहा कि नुकसान का आकलन 25 से 100 प्रतिशत क्षति के आधार पर किया गया और जिन किसानों के दावे सत्यापित हुए, उन्हें सीधे खाते में भुगतान किया गया। हालांकि विपक्ष ने सवाल उठाया कि जिन किसानों के दावे अभी लंबित हैं, उन्हें कब तक राहत मिलेगी और क्या मुआवजा वास्तविक नुकसान के अनुपात में है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़े डबवाली विधायक आदित्य देवीलाल के सवाल पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने स्वीकार किया कि बीते तीन वित्तीय वर्षों - 2022-23, 2023-24 और 2024-25 में बीमा कंपनियों के पास कुल 11,621.898 लाख रुपये के क्लेम अभी भी लंबित हैं। यह राशि उन किसानों की है, जिन्होंने बीमा कराया था लेकिन अब तक उन्हें पूरा भुगतान नहीं मिला। मंत्री के अनुसार, इसमें से करीब 22.144 लाख रुपये तकनीकी कारणों - एनईएफटी रिजेक्ट होना, बैंक खाते बंद होना या किसान की मृत्यु के चलते अटके हुए हैं ।

सबसे बड़ा हिस्सा बीमा कंपनियों और सरकार के बीच विवाद का है। रबी 2023-24 में सरसों, गेहूं और चने की फसलों के लिए किए गए फसल कटाई प्रयोगों (सीसीई) को लेकर क्षेमा जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के पास लगभग 8,552.174 लाख रुपये के क्लेम विवादित बताए गए। वहीं खरीफ 2024-25 में कपास फसल को लेकर एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी के पास करीब 3,047.58 लाख रुपये लंबित हैं।

इन प्रयासों के तहत तीन वर्षों में 223 किसानों को 14.04 लाख रुपये के अटके हुए भुगतान जारी किए गए। जो बीमा कंपनियां बार-बार भुगतान में देरी कर रही हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई से जुड़े सवाल पर मंत्री ने बताया कि रबी 2023-24 से जुड़े विवादित मामलों में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से क्षेमा जनरल इंश्योरेंस कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने का अनुरोध किया है, क्योंकि कंपनी ने राज्य तकनीकी सलाहकार समिति के फैसलों का पालन नहीं किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा

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