हरियाणा में छह से 18 वर्ष के बच्चों को ट्रैक करेगा शिक्षा विभाग
मुख्यमंत्री ने जीरो ड्राप-आउट राज्य बनाने को ली बैठक
एक किलोमीटर से अधिक दूरी वाले स्कूली बच्चों को मिलेगी परिवहन सुविधा
स्कूलों में दाखिला ले चुके अप्रवासी परिवारों के बच्चों का भी बनेगा आधार कार्ड
चंडीगढ़, 22 नवंबर (हि.स.)। हरियाणा सरकार प्रदेश में शिक्षा के स्तर को सुधारने एवं गुणवत्तापरक शिक्षा देने के निरंतर प्रयास कर रही है। सरकार ने अब हरियाणा को जीरो ड्रॉप-आउट राज्य बनाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को पीपीपी डाटा में दर्ज 6 से 18 वर्ष आयु के बच्चों को ट्रैक करने के निर्देश दिए हैं, ताकि यदि कोई बच्चा किसी सरकारी या निजी स्कूल, गुरुकुल, मदरसे या कदम स्कूल (स्पेशल ट्रेनिंग सेंटर) इत्यादि में नामांकित नहीं है, तो उसे शिक्षा देने के लिए प्रयास किए जा सकें।
मुख्यमंत्री बुधवार को चंडीगढ़ में जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में मनोहर लाल ने कहा कि बच्चों को स्कूल तक आने-जाने में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होनी चाहिए, इसके लिए सरकार ने योजना बनाई है। गांव से 1 किलोमीटर की दूरी से अधिक पर स्थित स्कूलों में आने-जाने के लिए सरकार की ओर से बच्चों को परिवहन की सुविधा दी जाएगी। इसके लिए प्रत्येक स्कूल में एक शिक्षक को स्कूल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर के रूप में नामित किया जाए, जिसका कार्य ऐसे बच्चों के साथ समन्वय स्थापित करना होगा, जिन्हें परिवहन सुविधा की आवश्यकता है। इसी प्रकार, ब्लॉक स्तर पर भी एक स्कूल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर (एसटीओ) नामित किया जाए, जो ब्लॉक में स्थित स्कूलों के एसटीओ के साथ समन्वय स्थापित कर परिवहन की सुविधा सुनिश्चित करने का कार्य करेगा।
मनोहर लाल ने डीईईओ को निर्देश देते हुए कहा कि एमआईएस पोर्टल पर सभी विद्यार्थियों का डाटा निरंतर अपडेट करें। डीईईओ ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि दूसरे राज्यों से काम की तलाश में यहां आए या ईंट भट्टों इत्यादि व्यवसायों में काम करने वाले परिवारों के लगभग तीन हजार बच्चे ऐसे हैं, जिनका आधार कार्ड नहीं बना हुआ है, इस कारण उनका डाटा एमआईएस पर अपडेट नहीं किया जा सकता। उनके जन्म तिथि का कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है, न ही उनके अभिभावकों के पास दस्तावेज उपलब्ध हैं, जिससे आधार कार्ड बनाया जा सके।
मुख्यमंत्री ने ऐसे बच्चों को बड़ी राहत देते हुए कहा कि राज्य के स्कूलों में दाखिला ले चुके ऐसे अप्रवासी परिवारों के बच्चों का आधार कार्ड बनाया जाएगा। इसके लिए माता-पिता को केवल बच्चे की जन्म तिथि के लिए नोटरी से सत्यापित एफिडेविट डीईईओ को प्रदान करना होगा, जिस पर हेड टीचर काउंटर हस्ताक्षर करेगा। यह दस्तावेज अतिरिक्त जिला उपायुक्त के पास प्रस्तुत किया जाएगा और आधार कार्ड बनाया जा सकेगा।
हिन्दुस्थान समाचार/संजीव/सुनील
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।