समस्या निवारण का बड़ा मंच बना भाजपा का ‘दलित सम्मेलन’

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समस्या निवारण का बड़ा मंच बना भाजपा का ‘दलित सम्मेलन’


मुख्यमंत्री के चीफ मीडिया कोऑर्डिनेटर के संयोजन में हो रहे दलित सम्मेलन

राज्य में अब तक 10 जिलों में आयोजित हो चुके हैं दलित सम्मेलन

चंडीगढ़, 31 जुलाई (हि.स.)। हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए भाजपा ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी के अनुसूचित प्रकोष्ठ ने दलितों को साधने का रोडमैप तैयार किया है। इसके लिए मुख्यमंत्री के चीफ मीडिया कोऑर्डिनेटर सुदेश कटारिया का दलित सम्मेलन के साथ ‘समस्या निवारण’ का बड़ा मंच बन रहा है।

पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के जनसंवाद की तर्ज पर शुरू किया जिलेवार दलित सम्मेलन के लगातार आयोजन हो रहे हैं। आगामी दलित सम्मेलन जींद और पलवल में प्रस्तावित हैं। अभी तक 10 जिलों में दलित सम्मेलन आयोजित हो चुके हैं, जिनमें दलितों की न केवल भीड़ उमड़ रही है, बल्कि उनकी समस्याओं का निराकरण भी हो रहा है। हरियाणा सिविल सचिवालय के छठे तल पर मुख्यमंत्री के चीफ मीडिया कोऑर्डिनेटर दलितों की समस्या सुनने के साथ अफसरशाही को फोन पर तुरंत निवारण के निर्देश भी दे रहे हैं। अहम पहलू यह भी है कि फरियादी को समाधान के साथ संतुष्ट करके ही वापस भेजा जाता है। इस दौरान कई बार सुदेश कटारिया की अफसरशाही के साथ अच्छी खासी नोकझोंक भी हो जाती है। इसके बावजूद भी वे दलितों की समस्याओं के समाधान के लिए तत्पर रहे हैं।

सुदेश कटारिया ने आज यहां एक बयान जारी कर बताया कि वह सोमवार से शुक्रवार तक हरियाणा सिविल सचिवालय में बैठते हैं और शनिवार व रविवार को जिलों में दलित सम्मेलनों में हिस्सा लेते हैं। सचिवालय में जिलावार दिन निर्धारित किए गए हैं, इससे संबंधित जिलों की समस्याओं का समाधान करवाने सुगमता रहती है और अलग-अलग जिलों की समस्याओं के निवारण को लेकर मामला उलझन में नहीं पड़ता है। हालांकि सिविल सचिवालय से संबंधित समस्याओं की सुनवाई वे हर रोज करते हैं। मुख्यालय पर स्थित विभागों से संबंधित फरियादों का भी साथ के साथ ही निपटान पर फोकस रहता है। सुदेश कटारिया बताते हैं कि जिलों में आयोजित होने वाले दलित सम्मेलनों में सबसे ज्यादा शिकायतें उनके पास अफसरशाही की मनमानी की आती हैं। ज्यादातर फरियादियों की शिकायत होती है कि संबंधित जिले के उच्चाधिकारी उनकी समस्या को न सुन रहे हैं और न ही उनके रोजमर्रा के कामों को निपटा रहे हैं। इसके चलते उन्हें हर रोज तहसील कचहरी के चक्कर काटने पड़ते हैं। जब दलित उनके पास शिकायत लेकर पहुंचते हैं तो वे तुरंत ही संबंधित अधिकारी को न केवल दलितों की सुनवाई करने के निर्देश देते हैं, बल्कि समस्या समाधान कर उन्हें रिपोर्ट करने की भी हिदायत दी जाती है।

हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा / सुनील कुमार सक्सैना

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