हरियाणा में ट्रेवल एजेंटों के लिए पंजीकरण जरूरी
‘हरियाणा ट्रैवल एजेंट पंजीकरण और विनियमन विधेयक, 2024’ पास
एक रजिस्ट्रेशन पर चलेगी एक ही ब्रांच
तीन साल बाद दोबारा रिन्यू करवाना होगा रजिस्ट्रेशन
ट्रैवल एजेंट की प्रॉपर्टी भी अटैच करने का रहेगा प्रावधान
चंडीगढ़, 30 जनवरी (हि.स.)। हरियाणा में अब अवैध रूप से काम करने वाले ट्रैवल एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई होगी। सरकार से मंजूरी लेने के बाद ही कोई व्यक्ति ट्रैवल एजेंट का काम कर सकेगा। अवैध रूप से युवाओं को विदेश भेजने वाले ट्रैवल एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
मंगलवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में सरकार ने ‘हरियाणा ट्रैवल एजेंटों का पंजीकरण और विनियमन विधेयक, 2024’ को मंजूरी प्रदान कर दी। इस विधेयक की खास बात यह है कि कोई भी व्यक्ति अधिनियम के तहत पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त किए बिना ट्रैवल एजेंट का पेशा नहीं कर सकता। आवेदन सक्षम प्राधिकारी को निर्दिष्ट समय के भीतर आवश्यक दस्तावेजों, शुल्क के साथ प्रस्तुत करना होगा। सक्षम प्राधिकारी आवेदन विवरण को सत्यापित करने के बाद पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी कर सकता है।
विधेयक के अनुसार प्रमाणपत्र तब तक जारी नहीं किया जाता जब तक कि पुलिस द्वारा विवरण सत्यापित नहीं किया जाता है, पंजीकरण प्रमाणपत्र की वैधता तीन साल के लिए होती है, जिसे निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार नवीनीकृत किया जाता है। इसके अलावा, नया कार्यालय या शाखा खोलने के लिए नया पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त करना आवश्यक है।
विधेयक में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि सक्षम प्राधिकारी विभिन्न कारणों जैसे दिवालियापन, आपराधिक गतिविधियों, शर्तों का उल्लंघन आदि के लिए पंजीकरण प्रमाणपत्र रद्द कर सकता है। रद्द करने से पहले, कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है और ट्रैवल एजेंट को स्पष्टीकरण देने का मौका मिलता है। यहां यह भी उल्लेख किया गया है कि रद्द करने पर विचार लंबित रहने तक एक निर्दिष्ट अवधि के लिए निलंबन किया जा सकता है। रद्द किया गया पंजीकरण ट्रैवल एजेंट को एक निर्धारित अवधि के लिए पेशे से वंचित कर देता है।
अधिनियम में यह भी उल्लेख किया गया है कि अदालत, इस अधिनियम के तहत अपराधों को संबोधित करते हुए, अवैध रूप से अर्जित संपत्ति की जब्ती का आदेश दे सकती है, मानव तस्करी या जाली दस्तावेजों में शामिल व्यक्तियों को दस साल तक की कैद और 2-5 लाख रुपये तक के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने या प्रतिबंधित उपकरणों का उपयोग करने पर सात साल तक की कैद और दो से पांच लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है।
हिन्दुस्थान समाचार/संजीव/सुनील
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