गुरुग्राम: ज्ञान, योग्यता व विशेषज्ञता के भंडार हैं दिव्यांग: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
-दिव्यांगों को सहानुभूति की वस्तु नहीं समझा जाना चाहिए
-उपराष्ट्रपति ने गुरुग्राम में सार्थक वैश्विक संसाधन केंद्र का उद्घाटन किया
-गुरुग्राम में दिव्यांगता के 10वें राष्ट्रीय सम्मेलन को किया संबोधित
-दिव्यांगों को सशक्त बनाने के लिए बनाना होगा इको-सिस्टम
गुरुग्राम, 9 दिसम्बर (हि.स.)। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि दिव्यांग लोगों को सहानुभूति की वस्तु नहीं माना जाना चाहिए। उनके ज्ञान, योग्यता और विशेषज्ञता के लिए मान्यता का पात्र होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक ऐसा इको-सिस्टम बनाया जाए, जिसके माध्यम से हम अपार प्रतिभा के धनी हमारे दिव्यांग लोगों को सशक्त बना सकें। उपराष्ट्रपति शनिवार को यहां सेक्टर-45 स्थित सार्थक फाउंडेशन के ग्लोबल रिसोर्स सेंटर एवं दिव्यांगता पर 10वें राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। हरियाणा के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ओम प्रकाश यादव ने उपराष्ट्रपति का गुरुग्राम आगमन पर स्वागत किया।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने डिस्लेक्सिया से पीडि़त वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के उदाहरण का उल्लेख करते हुए कहा कि दिव्यांगता के बारे में हमारी धारणा अक्सर जो दिखाई देती है, उस पर निर्भर करती है। सच्ची दिव्यांगता केवल सामने आने वाली चीजों से कहीं अधिक होती है, जोकि मानसिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक चुनौतियों के दायरे तक फैली हुई है। उपराष्ट्रपति ने सभी प्रकार की दिव्यांगता के लिए उपयुक्त समाधान तैयार करने का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में उन सामाजिक धारणाओं में आए बदलाव पर भी प्रकाश डाला, जो कभी महिलाओं को कठिन कार्यों में असमर्थ मानते थे। उन्होंने कहा कि आज देश की महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभा रही है।
उपराष्ट्रपति ने कार्यक्रम में दिव्यांगजनों के उत्थान के लिए हरियाणा सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि हरियाणा सरकार दिव्यांगजनों की बेहतरी के लिए विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर कार्य कर रही है। उन्होंने अपने संबोधन में दिव्यांगों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों सहित कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल देते हुए कॉर्पोरेट संस्थाओं से अपने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) फंड को समाज के इन वर्गों को सशक्त बनाने के लिए खर्च करने का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने गांवों और ग्रामीण क्षेत्रों में विकलांग व्यक्तियों के लिए सुविधाएं बढ़ाने के दृष्टिकोण की सराहना करते हुए, उन्होंने दिव्यांग व्यक्तियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए आऊट ऑफ बॉक्स सोचने और नवीन होने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने आग्रह किया, हर किसी को किसी न किसी तरह से योगदान देना चाहिए। आज भारत अग्रणी देशों की पंक्ति में शामिल है। उन्होंने कहा कि यह भारत का बढ़ता प्रभाव ही है कि आज वैश्विक स्तर पर भारत की राय को भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस अवसर पर भारत सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के सचिव राजेश अग्रवाल, गुरुग्राम के डिविजनल कमिश्नर आर.सी बिढान, डीसी निशांत कुमार यादव, सीपी विकास अरोड़ा, एसडीएम बादशाहपुर सतीश यादव, सार्थक फाउंडेशन के सीईओ डॉ. जितेंद्र अग्रवाल सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/ईश्वर/संजीव
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