गुरुग्राम: दृष्टिकोण में नारी का स्थान सर्वोपरि: भाग्यश्री साठे
-समाज उत्थान में अपनी भूमिका पर मंथन करने संवर्धिनी समागम में पहुंची हजारों महिलाएं
-मानेसर में उमड़ी नारी शक्ति ने दिखाई विचारों की शक्ति
गुरुग्राम, 17 दिसम्बर (हि.स.)। रविवार को मानेसर में आयोजित संवर्धिनी समागम में हजारों जागरूक महिलाएं समाज उत्थान में अपनी भूमिका पर मंथन करने पहुंची। यहां अपने संबोधन में अखिल भारतीय महिला समन्वय सह संयोजिका भाग्यश्री साठे ने कहा कि भारतीय दृष्टिकोण में नारी का स्थान सर्वोपरि है। निर्माण की शक्ति परमात्मा ने नारी को ही प्रदत्त की है, लेकिन यह विडम्बना है कि नारी शक्ति स्वरूपा के भाव को नारी ने ही विस्मृत कर दिया है। इस शक्ति के जागरण के लिए ही यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। कार्यक्रम की सह संयोजिका संध्या सैनी ने सभी अतिथि का आभार व धन्यवाद किया।
श्री शक्ति सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित संवर्धिनी समागम में लगभग चार हजार महिलाएं शामिल हुईं। इस विशेष अवसर पर महिलाओं ने अपने अपने क्षेत्र में महिलाओं के सामने आने वाली कठिनाइयों से अवगत कराया। यहां लगी स्टाल भी उनके आकर्षण का केंद्र रहा। भग्यश्री साठे ने कहा कि भारत में स्त्री को मां के रूप में प्रतिष्टित किया है। नारी तू नारायणी का संदेश भारत देश ने ही दिया है, परन्तु यह दुर्भाग्य है कि ऐसे श्रेष्ठ सन्देश देने वाले देश में ही नारी के प्रति नजरिया ठीक नहीं है। अबोध बच्चियों से बलात्कार के मामले हो रहे हैं। यह हमारे संस्कार नहीं है। हमारे देश में केवल कहने के लिए ही नहीं, बल्कि आचरण में परिलक्षित होने वाला संस्कार है। हमें अपने परिवारों में महिला के प्रति भारत के चिंतन को पूर्ण रूप से समाहित करना होगा। तभी समाज में महिलाओं को कुदृष्टि से देखने के भाव में बदलाव होगा। उन्होंने ने महिलाओं का आह्वान करते हुए कहा कि अपने परिवार में बेटे बेटियों को समान समग्र दृष्टि से देखे। समाज में कहीं भी महिला पर अत्याचार होता है तो उसके विरोध में समूहिक रूप से अपनी आवाज को बुलंद करना होगा।
समापन समारोह में मुख्य वक्ता सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हमने भारत की सनातन संस्कृति में जन्म लिया है। मुख्यातिथि के रूप में भारतीय महिला कबड्डी टीम की कोच रहीं सुनील डबास ने कहा कि बेटियों को पढऩे व खेलने की ओर प्रोत्साहन करना चाहिए। बेटियों को मंगलसूत्र बाद में पहनाना, उससे पहले उनके गले में मेडल आने दो।
हिन्दुस्थान समाचार/ईश्वर/संजीव
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