गुरुग्राम: दयाशंकर की डायरी नाटक में दिखायी महानगरीय जीवन की त्रास्दी

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गुरुग्राम: दयाशंकर की डायरी नाटक में दिखायी महानगरीय जीवन की त्रास्दी


गुरुग्राम, 28 जुलाई (हि.स.)। हरियाणा इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आट्र्स के विख्यात एकल नाटक दयाशंकर की डायरी का छठा मंचन गुरुग्राम के रंग परिवर्तन स्टूडियो में किया गया। नाटक का निर्देशन विश्व दीपक त्रिखा ने किया। राजकीय महाविद्यालय सेक्टर-9 गुरुग्राम के प्रवक्ता डॉक्टर सुरेंद्र शर्मा द्वारा इसको अभिनीत किया गया। यह नाटक नादिरा जहीर बब्बर द्वारा लिखा गया है।

डॉ. सुरेन्द्र शर्मा अभिनीत दयाशंकर की डायरी में एक नाकाम अभिनेता की कहानी के माध्यम से महानगरीय जीवन की त्रासदी को प्रस्तुत किया गया, जिसे दर्शकों की भरपूर सराहना मिली। नाटक में प्रकाश व्यवस्था और ध्वनि प्रसारण को जगदीप जुगनू ने संभाला। कला और स्टेज सेटिंग मनीष खरे ने और समन्वयक का काम समीर शर्मा ने संभाला। प्रोडक्शन का पूरा जिम्मा अविनाश सैनी के कंधों पर रहा। विश्व दीपक त्रिखा ने नाटक का निर्देशन किया।

एकल नाटक दयाशंकर की डायरी एक ऐसे युवा अभिनेता की कहानी है, जो एक्टर बनने मुंबई आता है। मजबूरीवश एक ऑफिस में क्लर्क की नौकरी करने लगता है। थोड़ी सी पगार में घरवालों की जरूरतों को पूरा करते रहने के कारण वह हमेशा तंगहाली में रहता है।दफ्तर के माहौल से दु:खी दयाशंकर को इसी बीच अपने बॉस की खूबसूरत बेटी से एकतरफा प्यार हो जाता है। वह उससे शादी करने के सपने देखने लगता है, जबकि लडक़ी अपने पिता के धनवान दोस्त के बेटे से शादी कर लेती है। इससे दयाशंकर टूट जाता है और उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। असफलता से भरे जीवन में आर्थिक तंगी और टूटते सपनों की इसी त्रासदी के साथ नाटक का दु:खद अंत होता है। इस अवसर पर गुरुग्राम के बुद्धिजीवी और रंग प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर

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