गुरुग्राम: किसान आंदोलन में अब तक उद्योगों को हुआ 400 करोड़ का नुकसान

गुरुग्राम: किसान आंदोलन में अब तक उद्योगों को हुआ 400 करोड़ का नुकसान
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गुरुग्राम: किसान आंदोलन में अब तक उद्योगों को हुआ 400 करोड़ का नुकसान


-पंजाब, हिमाचल से माल पहुंचने में हो रही दिक्कत

-ट्रांसपोर्ट का खर्चा बढऩे से बढ़ रहा है माल का खर्चा

गुरुग्राम, 22 फरवरी (हि.स.)। किसान आंदोलन के चलते गुरुग्राम के उद्योगों को एक सप्ताह में करीब 400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। जिस तरह से हड़ताल का समय बढ़ता जा रहा है, इससे लगता है कि हड़ताल अभी और चलेगी। उद्योगों का नुकसान भी बढ़ता जाएगा। ऑटोमोबाइल, गारमेंट, स्टील, खाद्य पदार्थ समेत अनेक उत्पादों का गुरुग्राम हब है। यहां निर्माण हुआ सामान भारत के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों में भी सप्लाई होता है।

सडक़ मार्ग से जाने वाले सामान पर किसान आंदोलन का गहरा प्रभाव पड़ रहा है। ना तो यहां ठीक से माल आ पा रहा है और ना ही जा पा रही है। पंजाब, हिमाचल से माल ढुलाई में अब ट्रांसपोर्टर भाड़ा बढ़ाने की बात कर रहे हैं। क्योंकि आंदोलन में हाईवे जाम होने के कारण गाडिय़ों को 100 किलोमीटर से भी अधिक अतिरिक्त घूमकर आना-जाना पड़ रहा है। प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के चेयरमैन दीपक मैनी कहते हैं कि इस अतिरिक्त चक्कर के कारण ट्रांसपोर्टर माल भाड़ा बढ़ाने की बात कह रहे हैं। ऐसा करना उनकी भी मजबूरी है। समस्याएं बहुत आ रही हैं। महंगा भाड़ा देकर भी माल इतनी आसानी से नहीं पहुंच रहा। हर समय ट्रांसपोर्टर को डर रहता है कि कहीं आंदोलन की भेंट उनके वाहन आ गए तो नुकसान ज्यादा होगा। दीपक मैनी ने कहा कि सरकार को हाईवे जाम करने को लेकर कठोर नियम, कानून बनाने चाहिए, ताकि कोई भी हाईवे जाम करके देश की अर्थव्यवस्था को बाधित ना कर सके। उन्होंने कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी भी है। इस पर एक्शन किया जाना चाहिए। अगर किसी को आंदोलन, प्रदर्शन करना है तो वह एक तरफ बैठकर करे।

टोल, डीजल का बढ़ रहा है खर्चा: एचएस शर्मा

किसान आंदोलन के चलते नुकसान के सवाल पर ट्रांसपोर्टर एचएस शर्मा का कहना है कि बहुत अधिक नुकसान पिछले दिनों से ट्रांसपोर्टर झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल की तरफ करीब 500 ट्रक रोजाना जाते हैं। इन सभी गाडिय़ों का रूट डायवर्ट किया गया है। उदाहरण देकर उन्होंने कहा कि उनकी पांच गाडिय़ां रोजाना इन रूटों पर जाती हैं। इन गाडिय़ों को दूसरे रूटों पर ले जाने के कारण ढाई से तीन लाख रुपये का टोल व डीजल एक्सट्रा लग रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक यह आंदोलन खत्म नहीं होता, सरकार को कुछ रूटों पर कॉमर्शियल वाहनों के लिए टोल फ्री कर देने चाहिए। क्योंकि गाडिय़ों में डीजल भी अधिक लगता है। डीजल तो नहीं बचा सकते, लेकिन सरकार टोल फ्री कर दे तो ट्रांसपोर्टर को कुछ राहत मिल सकती है।

हिन्दुस्थान समाचार/ईश्वर/संजीव

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