गुरुग्राम: कला की बारीकियों को सीख रहे हैं लोक सम्पर्क विभाग के कलाकार

गुरुग्राम: कला की बारीकियों को सीख रहे हैं लोक सम्पर्क विभाग के कलाकार
WhatsApp Channel Join Now
गुरुग्राम: कला की बारीकियों को सीख रहे हैं लोक सम्पर्क विभाग के कलाकार


-गुरुग्राम व फरीदाबाद मंडल की तीन दिवसीय कार्यशाला गुरुग्राम में हो रही

-प्रचार के महत्वपूर्ण विषयों पर गहन मंथन

गुरुग्राम, 7 जून (हि.स.)। कार्यशाला के दूसरे दिन शुक्रवार को वरिष्ठ रंगकर्मी व संगीत विशेषज्ञों ने प्रतिभागी भजन पार्टियों, खंड प्रचार कार्यकर्ता तथा सूचीबद्ध पार्टियों को क्षेत्रीय प्रचार दल के प्रभावी इस्तेमाल की रणनीति, प्रचार के लिए महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा, मंच संचालन की कला तथा नए विकास गीत व धुन तैयार करने के विषय में प्रेरित किया। सूचना, लोक संपर्क, भाषा तथा संस्कृति विभाग हरियाणा द्वारा गुुरुग्राम व फरीदाबाद मंडल के जिलों की तीन दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन उन्हें बारीकियां सिखाई गई।

दूसरे दिन की कार्यशाला में पहुंचे एसडीएम रविंद्र कुमार मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे। एसडीएम के कार्यशाला में पहुंचने पर डीआईपीआरओ बिजेंद्र कुमार ने पौधा भेंट कर उनका स्वागत किया तथा उन्हें कार्यशाला के उद्देश्यों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि सूचना, लोक संपर्क, भाषा तथा संस्कृति विभाग हरियाणा का प्रचार अमला सरकार की नीतियों को धरातल पर जाकर प्रचारित करता है। आप ग्रामीणों की सरल भाषा में ही उन्हें उन योजनाओं के बारे में बतायें और स्कीमों का लाभ लेने के लिए क्या करना होगा, इसके बारे में भी लोगों का मार्गदर्शन करें, ताकि सभी पात्र व्यक्ति उन योजनाओं का लाभ उठा सकें। उन्होंने कहा कि जनसम्पर्क विभाग के प्रचार अमला सरकार व जनता के बीच संचार की एक प्रमुख कड़ी है। इसलिए आप सरकार की नीतियों का प्रचार करने के साथ-साथ उन नीतियों पर लोगों की प्रतिक्रिया से भी सरकार को अवगत करवाएं।

एसडीएम रविंद्र कुमार ने कहा कि सोशल मीडिया व रील्स के बढ़ते प्रभाव के बीच आज भी आमजन के बीच आपकी कला की स्वीकार्यता है। ऐसे में आपको भी लोगों की बदलती सोच व परिवेश को ध्यान में रखते हुए अपनी प्रस्तुति कला में बदलाव लाना होगा। उन्होंने कहा कि आज से आचार संहिता की समाप्ती हो रही है। ऐसे में अगले तीन महीने आपको निरन्तर फील्ड में रहकर लोगों को सरकार की योजनाओं से जोडऩा होगा।

कार्यशाला के दूसरे सत्र में वरिष्ठ रंगकर्मी महेश वशिष्ठ ने कलाकारों की शंकाओं का निवारण करते हुए कहा कि आपका कथ्य सदैव मनोरंजक होना चाहिए, साथ ही उसमें यह भी ध्यान रखें कि उसमें निम्न स्तरीय शब्दों का इस्तेमाल ना हो। उन्होंने कहा कि आपके कथ्य इस प्रकार का ही, जिसमें सुनने वालों का तत्काल ध्यान आकर्षित हो सके। उन्होंने कहा कि आपकी शैली चाहे नाटक, संवाद अथवा भजन की हो लेकिन उसमें बिखराव नहीं होना चाहिए। उन्होंने प्रस्तुति के समय एकाग्रता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आप जितनी एकाग्रता के साथ प्रस्तुति देंगे लोगों का उतना ही आप से जुड़ाव होगा।

हिन्दुस्थान समाचार/ईश्वर/संजीव

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story