गुरुग्राम: गीता सभी धर्मों से ऊपर एक आध्यात्मिक ग्रंथ है: महंत बंसी पुरी
-तीन दिवसीय अखिल भारतीय भगवद गीता महासम्मेलन का हुआ समापन
गुरुग्राम, 11 दिसम्बर (हि.स.)। परमात्मा शिव ही वास्तव में इस सृष्टि के अधिष्ठाता हैं। सभी वेद, शास्त्रों का उद्गम शिव की वाणी से हुआ। गीता एक आध्यात्मिक ग्रंथ है। यह विचार हरियाणा साधु समाज के प्रदेश अध्यक्ष महंत बंसी पुरी ने ब्रह्माकुमारीज के ओम शान्ति रिट्रीट सेंटर में आयोजित अखिल भारतीय श्रीमद् भगवद गीता महासम्मेलन में उन्होंने ये बात कही।
कार्यक्रम के समापन सत्र में बोलते हुए उन्होंने कहा कि शिव और शक्ति एक दूसरे के पर्याय हैं। गीता सिर्फ पाठ करने का विषय नहीं, बल्कि जीवन में उतारने का विषय है। झज्जर से महामंडलेश्वरी साध्वी ऋतंभरा अनिता ने कहा कि गीता मात्र एक ग्रंथ नहीं बल्कि जीवन शैली है। परमात्मा के द्वारा गीता में सिखाए योग को जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता है। योग से हम मन को स्वस्थ रख सकते हैं। एक स्वस्थ मन ही स्वस्थ शरीर का आधार है। उन्होंने कहा कि बीमारियों का मूल कारण मन का विचलन है। योग का अभ्यास ही मन को स्थिरता प्रदान कर सकता है। ब्रह्माकुमारीज के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन ने कार्यक्रम के विषय को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि योग का एक मात्र शास्त्र भगवद्गीता है। जिससे सिद्ध होता है कि योग की शिक्षा स्वयं परमात्मा ने दी। ईश्वर को सर्वव्यापक समझने से योग सिद्ध नहीं होता। परमात्मा से योग यही दर्शाता है कि वो एक स्वतंत्र सत्ता है। यदि परमात्मा सबमें व्यापक हो तो योग लगाने की जरूरत ही नहीं है। उन्होंने कहा कि गीता में परमात्मा ने स्पष्ट कहा है कि वो इस प्रकृति की दुनिया से परे परमधाम के रहने वाले हैं। जहां सूर्य और चंद्रमा का प्रकाश भी नहीं पहुंच सकता।
ओआरसी की निदेशिका राजयोगिनी आशा दीदी ने कहा कि योग का वास्तविक अर्थ याद है। उन्होंने कहा कि परमात्मा से स्नेह के कारण लोगों ने उन्हें सर्वव्यापी समझ लिया। राजयोग के अभ्यास से ही आत्मा शक्तिशाली बन सकती है। स्व चिंतन और स्वाध्याय के आधार से ही परिवर्तन संभव है। उन्होंने कहा कि हम जैसा सोचते हैं वैसा ही बन जाते हैं। भगवद गीता हमें श्रेष्ठ चिंतन प्रदान करती है।
संस्था के मुख्यालय माउंट आबू से राजयोगिनी बीके उषा ने राजयोग के अभ्यास से सबको शान्ति की गहन अनुभूति कराई। मथुरा से बीके विनोद एवं चंडीगढ़ से बीके जय गोपाल ने ईश्वरीय स्मृति के गीतों द्वारा सबको भाव विभोर कर दिया। कार्यक्रम में विद्वानों ने भगवद गीता के अनेक रहस्यों पर चर्चा की।
हिन्दुस्थान समाचार/ईश्वर/संजीव
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