गुरुग्राम: भारत ने सिखाई विश्व को श्रेष्ठ जीवन पद्धति: स्वामी धर्मदेव
-अखिल भारतीय भगवद्गीता महासम्मेलन का हुआ शुभारम्भ
-बड़ी संख्या में साधु, सन्त और महात्माएं हुए सम्मिलित
-ब्रह्माकुमारीज के ओम शान्ति रिट्रीट सेंटर में हुआ आयोजन
-राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कार्यक्रम के प्रति भेजा शुभ कामना संदेश
गुरुग्राम, 9 दिसम्बर (हि.स.)। भारत ने विश्व को जीवन जीना सिखाया। ब्रह्माकुमारीज में आकर शान्ति के स्वर सुनाई देते हैं। यह बात आश्रम हरि मंदिर पटौदी के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज ने ब्रह्माकुमारीज के ओम शान्ति रिट्रीट सेंटर में तीन दिवसीय अखिल भारतीय श्रीमद् भगवद्गीता महासम्मेलन के उद्घाटन सत्र में उन्होंने ये बात कही। कार्यक्रम के प्रति विशेष रूप से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी अपना शुभ कामना संदेश भेजा।
उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्था मानव को देवता बनाने का श्रेष्ठ कार्य कर रही है। भारत ने विश्व को आध्यात्मिकता का मूलमंत्र दिया। विश्व शान्ति के लिए ब्रह्माकुमारीज अद्भुत भूमिका निभा रही है। हरिद्वार से महामंडलेश्वर दिनेशानंद भारती ने कहा कि ईश्वर कभी भी गर्भ से जन्म नहीं लेते। उन्होंने कहा कि गीता नव जीवन का निर्माण करती है। गीता का ज्ञान हमें अविनाशी तत्व की ओर ले जाता है। ये ज्ञान विराट संसार से सूक्ष्म ईश्वर की तरफ ले जाने वाला है। ब्रह्माकुमारीज संस्था गीता ज्ञान के रहस्य को सम्पूर्ण विश्व में फैला रही है।
गुरुग्राम से महामंडलेश्वर स्वामी दुर्गेशानंद ने कहा कि मनुष्य जीवन सर्वश्रेष्ठ है। उन्होंने कहा कि कर्म में अकर्ता भाव का अनुभव करना ही सबसे बड़ी बुद्धिमानी है। कई बार जो जैसा दिखाई देता है, वैसा होता नहीं। इसी प्रकार दिखाई देने वाला संसार भी वैसा नहीं है। अज्ञान की स्थिति में हमें चीजें वैसे ही दिखाई देती हैं। आत्म ज्ञान के द्वारा ही सतयुग का उदय होता है।
युगांडा में भारत के उच्चायुक उपेंद्र सिंह रावत ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज समूचे विश्व में शांति और सौहार्द का संदेश दे रही है। उन्होंने कहा कि धार्मिक और सांस्कृतिक भिन्नता के बाद भी भारत एक है। वास्तव में गीता सबको जोड़ती है। क्योंकि गीता एक सार्वभौमिक संदेश देती है।
ब्रह्माकुमारीज के अतिरिक्त महासचिव राजयोगी बीके बृजमोहन ने कहा कि गीता ज्ञान को सही परिप्रेक्ष में समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि गीता का ज्ञान निराकार परमात्मा शिव ने कलयुग के अंत में दिया। क्योंकि गीता ज्ञान से ही सतयुग की स्थापना हुई। माउंट आबू से आई वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके उषा ने कहा कि साधु-महात्माओं के कारण ही भारत भूमि आज तक थमी हुई है। ओआरसी की निदेशिका राजयोगिनी आशा दीदी ने कहा कि हरेक को जीवन में सुख-शांति और पवित्रता चाहिए।
हिन्दुस्थान समाचार/ईश्वर/संजीव
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