पलवल : पूर्व विधायक सुभाष चौधरी का निधन, जिला में शाेक की लहर
पलवल, 17 सितंबर (हि.स.)। पूर्व विधायक सुभाष चौधरी का मंगलवार को निधन हो गया। उन्होंने फरीदाबाद के निजी अस्पताल में मंगलवार सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर अंतिम सांस ली। उन्हें 13 सितंबर को उन्हें ब्रेन हैमरेज हुआ था। 4 दिन से उनका फरीदाबाद के निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। वे 73 वर्ष के थे। उनके जाने से उनके परिवार और शुभचिंतकों में शोक की लहर छा गई है।
इस वक्त वह कांग्रेस पार्टी में थे। वह कांग्रेस में पलवल सीट से टिकट भी मांग रहे थे। हालांकि कांग्रेस ने करण दलाल को दे दिया। जिसका उन्होंने खुलकर विरोध भी किया था। सुभाष चौधरी की पत्नी की पहले ही मौत हो चुकी है। उनका एक बेटा और एक बेटी है। दोनों ही विवाहित हैं।पूर्व विधायक सुभाष चौधरी पलवल जिले की राजनीति का जाना-माना चेहरा थे। वह कई बार पार्षद के साथ नगर परिषद के अध्यक्ष भी रहे। 1996 में उन्होंने पहली बार बसपा की टिकट पर चुनाव लड़ा और वह दूसरे स्थान पर रहे।
2009 में पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल को हराया
इसके बाद उन्होंने लगातार चुनाव लड़े। 2009 में उन्होंने इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल को हराया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समधी करण दलाल को हराने के बाद सुभाष चौधरी पूरे प्रदेश की सुर्खियों में रहे। सुभाष चौधरी के निवास स्थान गुर्जर भवन पर कार्यकर्ताओं के साथ चुनावी चर्चा हो रही थी। बीते शुक्रवार को अचानक सुभाष चौधरी को ब्रेन हेमरेज हो गया। इस दौरान वह अपने निवास स्थान पर आए लोगों से बातचीत कर रहे थे। आनन-फानन में फरीदाबाद के निजी अस्पताल में ले जाया गया। जहां वह कोमा में चले गए। मंगलवार की सुबह उनका निधन हो गया।
1987 में पहला चुनाव लड़ा
सुभाष चौधरी ने इंटर (12वीं) तक पलवल से पढ़ाई करने के बाद एसडी कॉलेज में दाखिला लिया था, लेकिन आगे की पढ़ाई नहीं की। गुर्जर समाज में अच्छी पकड़ के चलते उन्होंने 1987 में नगर पालिका (हाल नगर परिषद है) से पार्षद का पहला चुनाव लड़ा और जीते। उसके बाद कई बार पार्षद रहे और नगर परिषद के चेयरमैन भी रहे। सुभाष चौधरी विधायक हों या नहीं, वे हमेशा 36 बिरादरी के जो भी उनके समर्थक होते थे, उनके साथ कोई वारदात होने पर डटकर साथ देते थे।
पलवल में गुर्जर आंदोलन को लीड किया
सुभाष चौधरी का नाम पलवल क्षेत्र में काफी बड़ा रहा। बताया जाता है कि जिले की गुर्जर कम्युनिटी इन्हीं का अनुसरण करती थी। जो यह कह देते थे, गुर्जर वही करते थे। साल 2008 में जब राजस्थान में गुर्जरों ने आरक्षण को लेकर आंदोलन शुरू किया था, उस आंदोलन का चेहरा पलवल में सुभाष चौधरी थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / गुरुदत्त गर्ग
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