एचएयू की डब्ल्यू एच 1270 से देश के सर्वाधिक गेहूं उत्पादक राज्यों के किसानों को मिल रहा भरपूर लाभ : प्रो. बीआर कम्बोज
गेहूं की डब्ल्यू एच 1270 उन्नत किस्म किसानों तक पहुंचाने के लिए एचएयू ने किया चार कंपनियों के साथ समझौता
हिसार, 27 फरवरी (हि.स.)। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से विकसित गेहूं की डब्ल्यूएच 1270 की उन्नत किस्म किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है। यह किस्म गेहूं की अधिक पैदावार तो बढ़ाती है साथ ही गेहूं की मुख्य बीमारियां जैसे पीला रत्तवा व भूरा रत्तवा के प्रति रोगरोधी क्षमता से भी परिपूर्ण है। इन्हीं गुणों के साथ गेंहूं की डब्ल्यू एच 1270 की उन्नत किस्म हरियाणा के साथ-साथ देश के सर्वाधिक गेहूं उत्पादक राज्यों के किसानों को भी भरपूर फायदा मिल रहा है।
यह बात विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने मंगलवार को कंपनियों से समझौते के दौरान कही। किसानों की आर्थिक स्थिति को और मजबूत बनाने के लिए विश्वविद्यालय ने जगदीश हाईब्रिड सीड्स कंपनी, सुपर सीड्स, हिसार, यमुना सीड्स, इंद्री व गोपाल सीड्स फार्म, मानसा से समझौता किया है। कुलपति ने कहा कि उन्नत किस्म डब्लयू एच 1270 की पैदावार व रोग प्रतिरोधक क्षमता को देखते हुए इसकी मांग अन्य राज्यों में भी लगातार बढ़ती जा रही है। विश्वविद्यालय के अनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के गेहूं अनुभाग द्वारा विकसित गेहूं की किस्म डब्ल्यूएच 1270 को भारत के उत्तर पश्चिमी मैदानी भाग के सिंचित क्षेत्र में अगेती बिजाई वाली खेती के लिए वरदान साबित हो रही है। इसकी मांग पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और पश्चिमी उत्तरप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में लगातार बढ़ती जा रही है। कुलपति ने कहा कि यह वैज्ञानिकों की मेहनत का ही परिणाम है कि हरियाणा प्रदेश क्षेत्रफल की दृष्टि से अन्य प्रदेशों की तुलना में बहुत ही छोटा है जबकि देश के केंद्रीय खाद्यान भण्डारण में प्रदेश का कुल भंडारण का लगभग 16 प्रतिशत हिस्सा है और फसल उत्पादन में अग्रणी प्रदेशों में है।
एक साथ चार कंपनियों के साथ हुआ समझौता, अभी तक हो चुके हैं कुल 35 समझौते
मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ. मंजू महता ने बताया कि विश्वविद्यालय की ओर से एक साथ चार कंपनियों के साथ समझौते हुए हैं। इनमें कुलपति प्रो. कम्बोज की उपस्थिति में विश्वविद्यालय की ओर से समझौता ज्ञापन पर कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एसके पाहुजा ने हस्ताक्षर किए, जबकि जगदीश हाइब्रिड सीड्स कंपनी की ओर से नमन मित्तल और प्रबंधक महावीर, सुपर सीड्स, हिसार के निदेशक अंकित गर्ग, यमुना सीड्स, इंद्री के पार्टनर रमन कुमार और गोपाल सीड्स फार्म, मानसा के प्रबंधक संदीप कुमार ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। ज्ञात रहे कि विश्वविद्यालय ने गेहूं की डब्ल्यू एच 1270 की उन्नत किस्म किसानों तक पहुंचाने के लिए कुल 35 कंपनियों से समझौते किए है।
डब्ल्यूएच 1270 की विशेषताएं
गेहूं एवं जौ अनुभाग के प्रभारी डॉ. पवन कुमार ने बताया कि इस किस्म में विश्वविद्यालय द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार बिजाई करके उचित खाद, उर्वरक व पानी दिया जाए तो इसकी औसतन पैदावार 75.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो सकती है और अधिकतम पैदावार 91.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक ली जा सकती है। उन्होंने बताया कि इस समय गेहूं के अंदर बालिया निकलने लग रही है। कुछ क्षेत्रों के अंदर जहां रेतीली भूमि है वहां पर सुक्ष्म तत्वों की कमी से झंडा पत्ता रोल हो रहा है व तीखा-नुकीला बना हुआ है, जोकि बालियोंं को सही ढंग से निकलने नहीं देता। यह मैगनीज तत्व की कमी के लक्षण है। अत: किसानों को सलाह दी जाती है कि उपरोक्त स्थिति में वे 500 ग्राम मैगनीज सल्फेट 100 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ स्प्रे करें। इससे बालियां सही ढंग से निकलने लग जाएगी। यदि उसके बाद भी समस्या ज्यों की त्यों रहती है तो एक सप्ताह के बाद पुन: मैगनीज सल्फेट का छिडक़ाव करें।
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की ओर से ओएसडी डॉ. अतुल ढींगड़ा, मीडिया एडवाइजर डॉ. संदीप आर्य, डॉ. ओपी बिश्नोई, एसवीसी कपिल अरोड़ा, आईपीआर सेल के प्रभारी डॉ. विनोद सांगवान सहित अन्य उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव
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