फरीदाबाद: सूरजकुंड मेले में पहुंचीं पद्मश्री भूरी बाईं, कभी शहर में करनी पड़ी थी मजदूरी

फरीदाबाद: सूरजकुंड मेले में पहुंचीं पद्मश्री भूरी बाईं, कभी शहर में करनी पड़ी थी मजदूरी
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फरीदाबाद: सूरजकुंड मेले में पहुंचीं पद्मश्री भूरी बाईं, कभी शहर में करनी पड़ी थी मजदूरी


फरीदाबाद, 10 फरवरी (हि.स.)। 37वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में अपनी हस्त कला दिखाने शनिवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की कलाकार पद्मश्री भूरी बाई पहुंचीं। वह भील आर्ट में माहिर हैं। यह कला गुजरात के जिला झबुआ और रूक्क के बीच पडऩे वाले एक गांव की है।

भूरी बाई ने कहा कि वह बचपन से ही इस कार्य को कर रही हैं। जब वह छोटी थीं तो उनकी मां उनसे कहा करती थीं कि त्योहार आ गए हैं, घर सजाना है। फिर वह दीवारों पर पेंटिंग करना शुरू कर देती थीं। वह जब शहर आईं तो मात्र 10 रुपए में उन्हें लेबर का काम मिला। उन्होंने बताया कि उनके समय में पेंट नहीं हुआ करते थे तो वह मिट्टी कलर से या तवे की कालिख से रंग बनाती थीं। भोपाल में भारत भवन नाम का एक म्यूजियम है। इसमें उन्हें कलर ब्रश मिला था। डायरेक्टर जय स्वामी नाथ जगदीश ने उन्हें पहली बार पेंट करने का मौका दिया।

भूरी बाई ने कहा कि उनका ही आशीर्वाद है कि वह कई देशों में कला की छाप छोडक़र आईं। वहां के लोगों को भी अपनी कला सिखाई। उन्हें अब तक कई अवॉर्ड मिल चुके हैं। उनमें शिखर सम्मान, देवी अहिल्या, रानी दुर्गावती, मध्य प्रदेश गौरव अवॉर्ड और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों मिला पद्मश्री मुख्य हैं। उन्होंने बताया की जब वह 15 साल पहले सूरजकुंड आई थी तो उन्होंने आदिवासी भील घर बनाया था। उस पर उन्हें पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने एक हजार रुपए का पुरस्कार दिया था।

हिन्दुस्थान समाचार/मनोज/संजीव

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