फरीदाबाद: सूरजकुंड मेले में 37वीं बार आए मोहम्मद भाई
हाथ से बनाते हैं शॉल-स्टाल एवं साडिय़ां, जया बच्चन इनकी रेगुलर कस्टमर
फरीदाबाद, 5 फरवरी (हि.स.)। फरीदाबाद में चल रहे अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में थीम राज्य गुजरात की अद्भुत छवि को देखने को मिल रही है। गुजरात के भुज-कच्छ के संजोग नगर से आए मोहम्मद भाई कच्छी हैंडलूम शॉल कला को लेकर यहां पहुंचे हैं। यह 1987 में जब पहला सूरजकुंड मेला लगा था, तब भी आये थे। ये लगातार 37 बार सूरजकुंड मेले में आ चुके हैं।
मोहम्मद भाई बताते हैं कि इनकी हैंडलूम कला 150 वर्ष से अधिक पुरानी है और उनकी आठवीं बुनकर का काम कर रही है। पहले गुजरात के राजा-महाराजा ही इस कच्छी हैंडलूम से संबंधित विविध परिधानों को पहनते थे। समय बदलने के साथ अब इसे समाज का प्रत्येक वर्ग का व्यक्ति पहनता है। इसके साथ ही बॉलीवुड की पहचान अमिताभ बच्चन की धर्म पत्नी जया बच्चन उनकी रेगुलर कस्टमर है। वे बताते हैं कि उनको अपनी कला की वजह से विदेशों में भी पहचान मिली है। गुजरात एक पर्यटन राज्य होने के चलते विदेशी पर्यटक भी इनके पास आते हैं और कच्छी हैंडलूम के शॉल, साडिय़ां, सूट सहित विभिन्न तरह के परिधान अपने साथ लेकर जाते हैं।
उनका कहना है कि उनकी बनाई स्टाल बहुत ही बेहतरीन होती है। अब तकनीकी युग होने के चलते टैक्सटाइल कंपनियां आने से अब धागा वहीं से लिया जाता है। स्टाल और साडिय़ों की बुनाई पूरी तरह से हाथ से होती है। उन्होंने बताया कि उनके पास 650 से लेकर 6 हजार रुपए की स्टाल उपलब्ध है। उनका यह भी कहना है कि उन्होंने 400 से ज़्यादा महिलाओं को रोजग़ार दिया हुआ है। जैसे शॉल के दाम बढ़ेंगे, उसे तैयार करने में उतना ही समय लगेगा। 60 हजार रुपए वाली शॉल को तैयार करने में तीन महीने का समय लगता है।
हिन्दुस्थान समाचार/मनोज/संजीव
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