प्रसिद्ध बांसुरी वादक अजय शंकर प्रसन्ना ने जेएनवी में बिखेरी सुर लहरियां
जीवन में सफलता का मूलमंत्र कठोर परिश्रम : अजय शंकर प्रसन्ना
फतेहाबाद, 4 दिसंबर (हि.स.)। शास्त्रीय संगीत के बनारस घराने के प्रख्यात बांसुरी वादक पंडित भोलानाथ प्रसन्ना के पुत्र व शिष्य अजय प्रसन्ना ने स्पिक मैके की सांस्कृतिक श्रृंखला के अंतर्गत सोमवार को जवाहर नवोदय विद्यालय, खारा खेड़ी में अपनी बांसुरी वादन कला से सभी को मंत्रमुग्ध करने वाली प्रस्तुति दी। बनारस घराने के मशहूर बांसुरी वादक पंडित अजय प्रसन्ना से अपने मुरली की तान से विद्यालय में उपस्थित विद्यार्थियों को अपने संगीत का मुरीद बना डाला। उनके साथ तबले पर पंडित अभिषेक मिश्रा ने जुगलबंदी की।
विद्यालय आगमन पर पंडित अजय प्रसन्ना का छात्राओं द्वारा तिलक लगाकर व प्राचार्य अनूप सिंह द्वारा पुष्प गुच्छ द्वारा स्वागत किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन किया गया। तत्पश्चात राग सारंग तोड़ी के माध्यम से पंडित प्रसन्ना ने बांसुरी वादन शुरू किया। उन्होंने विभिन्न स्वर लहरियों द्वारा श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। छाप तिलक सब छीने, रघुपति राघव राजा राम जैसी भक्ति प्रस्तुतियों से माहौल को भक्ति रस से सराबोर कर दिया।
1979 में इलाहाबाद में जन्मे अजय शंकर प्रसन्ना ने तीन वर्ष की आयु से अपने पिता को बांसुरी बजाते व छात्रों को सीखते देखकर शास्त्रीय संगीत में अपना प्रशिक्षण शुरू किया। अपने पिता को पंडित हरि प्रसाद चौरसिया को संगीत शिक्षा प्रदान करते देखते थे, जो गुरू जी से आशीर्वाद लेने व नया राग सीखने आते थे। एक उत्साही श्रोता, पर्यवेक्षक व तेजी से सीखने वाले अजय प्रसन्ना ने अपने पिता के पाठों का अवलोकन करते हुए किसी भी राग को नया करने की अपार क्षमता विकसित की।
उन्होंने अपना पहला प्रदर्शन छह वर्ष की आयु में इलाहाबाद अखिल भारतीय शास्त्रीय संगीत सम्मेलन में दिया। तब से आज तक दुनिया भर में अपने प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते आ रहे है। उन्होंने लदन के क्वीन एलिजाबेथ हॉल के अलावा दुबई, आबू-धाबी, सिंगापुर, बैंकाक, केन्या,रूस,फ्रांस, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, तुर्की, भूटान, नेपाल, मलेशिया आदि देशों मे अपनी प्रस्तुतियां दी है।
उन्होंने प्रसिद्ध संगीतकारों यथा पंडित रवि शंकर, पंडित शिव कुमार शर्मा, उस्ताद अमजद अली खान, अमान और अयान अली खान, उस्ताद सुल्तान खान, उस्ताद जाकिर हुसैन, शुभा मुद्गल, अनुष्का शंकर जैसे नामचीन संगीत विभूतियों के साथ भी प्रस्तुतियां दी है। विद्यालय में विद्यार्थियों से वार्तालाप करते हुए उन्होंने बच्चों के अनुशासन की खास तौर से प्रशंसा की और कहा कि जीवन में सफलता का मूलमंत्र कठोर परिश्रम है। इसके अलावा और कोई भी रास्ता छोटा क्यों ना हो सफलता की चोटी पर नहीं पहुंचा सकता। छात्रों को संगीत के क्षेत्र में केरियर बनाने के नए आयामों से परिचित कराया और विभिन्न प्रश्रों के उत्तर भी दिए। विद्यालय में अपने भ्रमण के दौरान उन्होंने संपूर्ण परिसर की अतीव प्रशंसा की तथा आम का पौधा लगाकर वृक्षारोपण अभियान में अपना योगदान दिया।
हिन्दुस्थान समाचार/अर्जुन
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