हिसार: कर्मचारियों की लंबित मांगों का समाधान की बजाय उन्हें धमकी दे रही सरकार : हितेन्द्र सिहाग

हिसार: कर्मचारियों की लंबित मांगों का समाधान की बजाय उन्हें धमकी दे रही सरकार : हितेन्द्र सिहाग
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हिसार: कर्मचारियों की लंबित मांगों का समाधान की बजाय उन्हें धमकी दे रही सरकार : हितेन्द्र सिहाग


कर्मचारी नेताओं ने खट्टर के बयान पर जताई नाराजगी, की निंदा

हिसार, 31 मई (हि.स.)। सर्व कर्मचारी संघ से संबंधित हरियाणा मिनिस्ट्रियल स्टाफ एसोसिएशन ने शुक्रवार को कहा कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री आए दिन कर्मचारियों एवं अधिकारियों पर चुनाव में विपक्षी दलों को मदद करने का आरोप लगाकर चार जून के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई करने की लगातार धमकी दे रहे हैं। इससे राज्य के कर्मचारियों में भारी आक्रोश पैदा हो गया है।

एसोसिएशन के राज्य प्रधान हितेन्द्र सिहाग, महासचिव जगमिंदर सिंह, संदीप सांगवान, सुनीता कालीरामण, मुकेश खरब, सतबीर स्वामी, अमित बूरा व संतू सिंह ने शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री के बयान पर कड़ी नाराजगी जताई और इसकी कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि सरकार को कर्मचारियों को धमकाने की बजाय उनकी लंबित मांगों का समाधान कर उनमें सरकार के खिलाफ बढ़ रही नाराजगी को दूर करने के लिए शीघ्र ठोस कदम उठाने चाहिएं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ऐसा करने की बजाय कर्मचारियों को धमकी देकर आक्रोश को बढ़ाने का ही काम कर रही है। सरकारी कर्मचारी ही इतनी भीषण गर्मी में सभी तरह की आवश्यक सेवाएं प्रदान करने में दिन रात जुटे हुए हैं। राज्य प्रधान हितेन्द्र सिहाग ने कहा कि सरकार कर्मचारियों की पीठ थपथपाने की बजाय उन पर गलत आरोप लगाकर उनके मनोबल को तोड़ने का काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार को लिपिक कर्मी का वेतन 35400, पुरानी पेंशन बहाली, रेगुलराइजेशन, आठवें पे कमीशन के गठन करना, केन्द्र के समान एचआरए करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने कर्मचारियों की किसी भी मांग को पूरा नहीं किया है, जिसके कारण कर्मियों में भारी नाराजगी व्याप्त है ।

कर्मचारी नेताओं ने बताया कि कर्मचारियों के आंदोलन के दबाव में हरियाणा सरकार ने लिपिक के वेतन संशोधन पर एग्जामिन कमेटी बनाई लेकिन लिपिक कर्मचारी के साथ सरकार ने धोखा किया। इसके अलावा पुरानी पेंशन बहाली की मांग को एग्जामिन करने के नाम पर एक कमेटी का गठन किया था। जिसको बाद में यह कहकर ठंडे बस्ते में डाल दिया को केन्द्र सरकार द्वारा इस मामले में गठित कमेटी के आउटकम के बाद ही सरकार कोई फैसला करेगी। जबकि केन्द्र सरकार तो पुरानी पेंशन बहाली की मांग को मानने के लिए स्पष्ट मना कर चुकी है।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव

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