हिसार : राखीगढ़ी में जनवरी से होगी टीलों पर खुदाई शुरू
पुरानी साइटों को राखीगढ़ी महोत्सव के लिए खोलाहिसार, 22 दिसंबर (हि.स.)। हड़प्पा कालीन सभ्यता को लेकर विख्यात राखीगढ़ी में एक बार फिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग जनवरी से खुदाई शुरू करेगा। तीन टीलों पर खुदाई करने की योजना है। पुरानी साइटों को भी खोला जा रहा है ताकि राखी राखीगढ़ी महोत्सव में आने वाले पर्यटक इन साइटों को देख सके।सबसे महत्वपूर्ण साइट टीला एक और तीन को माना जाता है। टीले एक पर खुदाई के दौरान काफी भट्ठियां पाई गई है। यह उनका व्यापारिक क्षेत्र था। टीले तीन पर उन लोगों के कच्चे मकान पाए गए हैं। पिछली बार भारतीय पुरातत्व विभाग नई दिल्ली के महानिदेशक डॉक्टर संजय कुमार मंजुल के नेतृत्व में खुदाई की गई थी अब की बार भारतीय पुरातत्व उत्खनन विभाग शाखा दो ग्रेटर नोएडा की तरफ से खुदाई की जाएगी। जो कि जनवरी के पहले सप्ताह में शुरू हो जाएगी।पहली बार खुदाई में यह सामने आया था कि ये पूरी दुनिया की सबसे बड़ी साईट हैं। यह सभ्यता शहरी होने से पहले यहां पर ग्रामीण लोगों की बसासत होती थी। सबसे पहले गोलाकार आकार के मिट्टी से बने हुए मकान थे। उसके बाद करीब छह हजार साल पहले कच्ची ईटों का प्रचलन शुरू हुआ और फिर उन्हें ईटों को पकाकर पक्के मकान बनाने की शुरुआत हुई थी। शुरू में यहां के लोगों का मुख्य धंधा खेती होता था। भारतीय पुरातत्व उत्खनन विभाग शाखा दो ग्रेटर नोएडा के सुपरीटेंडेंट मनोज सक्सेना ने साेमवार काे बताया कि अगले बरस के पहले सप्ताह में खुदाई का काम शुरू हो जाएगा। टीले नंबर एक और तीन पर सबसे पहले खुदाई शुरू की जाएगी उसके बाद यह भी देखे जाएगा कि राखी गढ़ी में ये सभ्यता कितने क्षेत्र में फैली हुई हैं।राखी गढ़ी में सबसे पहले साल 1997 से 2000 तक भारतीय पुरातत्व विभाग के डायरेक्टर अमरेंद्र नाथ की अगुवाई में खुदाई हुई थी। दूसरी बार डेक्कन यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर वसंत शिंदे ने साल 2003 से 2006 तक की थी। तीसरी बार भी प्रोफेसर वसंत शिंदे के नेतृत्व में वर्ष 2013 से 2016 तक अलग अलग टीलों पर की गई। उसके बाद 2020 से लगातार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग दिल्ली के महानिदेशक डॉ संजय कुमार मंजुल के नेतृत्व में जून 2025 तक की गई।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

