सोनीपत: ऊर्जा दक्ष भवन विकसित भारत की आधारशिला: कुलगुरु प्रो. सिंह

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सोनीपत, 17 दिसंबर (हि.स.)। दीनबंधु

छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल के कुलगुरु प्रो. प्रकाश सिंह

ने कहा कि ऊर्जा संरक्षण आज केवल तकनीकी आवश्यकता नहीं, बल्कि राष्ट्रीय दायित्व बन

चुका है। बुधवार को उन्होंने कहा कि वर्तमान में विकसित हो रहे भवन और अवसंरचनाएं दीर्घकालीन

राष्ट्रीय संपत्ति हैं, जिनका सीधा प्रभाव ऊर्जा खपत, कार्बन उत्सर्जन, परिचालन लागत

और आने वाली पीढ़ियों के जीवन स्तर पर पड़ता है।

ऊर्जा

संरक्षण और सतत विकास को जनआंदोलन का स्वरूप देने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय और

हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय जागरूकता कार्यशाला

का आयोजन किया गया। कुलगुरु ने कहा कि विकसित भारत वही होगा, जहां विकास सतत, समावेशी

और तकनीकी रूप से उन्नत हो। यदि भारत को वर्ष 2047 तक वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनना है,

तो प्रत्येक भवन को उच्च प्रदर्शन वाला, जलवायु-अनुकूल और टिकाऊ बनाना अनिवार्य है।

उन्होंने

भारतीय पारंपरिक वास्तुकला की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आंगन प्रणाली, प्राकृतिक

प्रकाश व वायु प्रवाह, मोटी दीवारें, जालियाँ, छज्जे और जलवायु के अनुरूप भवन उन्मुखीकरण

जैसी तकनीकें आज भी प्रासंगिक हैं। जब इन स्वदेशी अवधारणाओं को आधुनिक ऊर्जा गणना और

प्राकृतिक प्रकाश विश्लेषण तकनीकों के साथ जोड़ा जाता है, तो कम ऊर्जा में अधिक आरामदायक

भवन संभव होते हैं। अंत में आयोजकों ने कुलगुरु को पौधा भेंट किया। प्रो. एस के सिंह, प्रो. विजय

शर्मा, प्रो. ज्ञानेंद्र, प्रो. रवि वैश, प्रो. शैलजा, डा. ज्योति, डा. मनोज पंवार,

डा. ललित कुमार, डा. सौरभ जागलान सहित शोधार्थी, विद्यार्थी और सरकारी विभागों के अधिकारी

उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र शर्मा परवाना

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