जींद : धर्म के आधार पर विभाजन के विरोधी थे श्यामा प्रसाद मुखर्जी : जसमेर रजाना
जींद, 23 जून (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी के लाभार्थी संपर्क अभियान के जिला संयोजक व सफीदों विधानसभा के वरिष्ठ भाजपा नेता जसमेर रजाना ने सफीदों खंड के गांव रामनगर में रविवार को डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर पुष्प अर्पित करके जयंती मनाई।
भाजपा के वरिष्ठ नेता जसमेर रजाना ने ग्रामीणों को डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उन्होंने अल्पायु में ही विद्या अध्ययन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएं हासिल की थी। 23 वर्ष की अल्पायु में वह कोलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बने। इस पद पर नियुक्त करने वाले वह सबसे कम आयु के कुलपति थे। एक विचारक तथा प्रखर शिक्षाविद के रूप में उनकी उपलब्धि तथा ख्याति निरंतर आगे बढ़ती गई। रजाना ने बताया कि डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने स्वेच्छा से अलख जगाने के उद्देश्य से राजनीति में प्रवेश किया। डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विभाजन के विरोधी थे।
उन्होंने अपनी विशिष्ट रणनीति से बंगाल के विभाजन के मुस्लिम लीग के प्रयासों को पूरी तरह से नाकाम कर दिया था। वर्ष 1942 में ब्रिटिश सरकार ने विभिन्न राजनीतिक दलों के छोटे-बड़े सभी नेताओं को जेल में डाल दिया। डा. मुखर्जी इस धारणा के प्रबल समर्थक थे कि सांस्कृतिक दृष्टि से हम सब एक हैं। इसलिए धर्म के आधार पर वह विभाजन के कट्टर विरोधी थे। रजाना ने बताया कि उस समय डा. मुखर्जी ने बंगाल और पंजाब के विभाजन की मांग उठा कर प्रस्तावित पाकिस्तान का विभाजन करवाया और आधा बंगाल, आधा पंजाब खंडित भारत के लिए बचा लिया और 23 जून 1953 को डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश के लिए अपने जीवन का बलिदान दे दिया।
हिन्दुस्थान समाचार/ विजेंद्र
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।