जींद : भौमवती अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने किया पिंडदान

जींद : भौमवती अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने किया पिंडदान
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जींद : भौमवती अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने किया पिंडदान


जींद, 12 दिसंबर (हि.स.)। पांडु पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर मंगलवार को भौमवती अमावस्या के अवसर पर श्रद्धालुओं ने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया तथा सूर्यदेव को जलार्पण करके सुख समृद्धि की कामना की। जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि मंगल को भौम भी कहा जाता है। इस वजह से यह भौमवती अमावस्या है। मान्यता है कि नाराज पितरों को खुश करने के लिए आमवस्या तिथि एक उत्तम दिन है।

भौमवती अमावस्या के दिन हनुमान जी की पूजा करने से जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीष प्राप्त होता है। इसके अलावा अमावस्या तिथि को दान करने का भी विधान है। ऐसा करने से पितर खुश होते हैं और सुख स्मृद्धि बढ़ती है। पिंडतारक तीर्थ के संबंध में माना जाता है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की।

बाद में सोमवती अमावस के आने पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। तभी से यह माना जाता है कि पांडु पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यहां पिंडदान करने के लिए विभिन्न प्रांतों के लोग श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालुओं ने यहां खरीददारी भी की।

हिन्दुस्थान समाचार/ विजेंद्र/सुमन

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