हिसार : ओशो ध्यान उपवन में उमड़े साधक, ध्यान विधियाें का किया अभ्यास
हिसार, 6 मई (हि.स.)। भक्ति का पहला चरण प्रकृति प्रेम पर आधारित ध्यान सत्र ओशो ध्यान उपवन में सोमवार को आयोजित किया गया। इस ध्यान सत्र में विभिन्न क्षेत्रों से साधकों ने हिस्सा लिया। ध्यान की सरल विधियों का अभ्यास किया। इस दौरान संगीत के साथ सामंजस्य बिठाते हुए साधकों ने झूमते हुए अनूठे आनंद की अनुभूति भी की।
ध्यान उपवन में सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में स्वामी संजय ने बताया कि प्रकृति से प्रेम करने वाला, उसे समझने वाला और उसके प्रति समर्पित होने वाला इंसान परमात्मा की तरफ कदम बढ़ा सकता है। उन्होंने कहा कि भक्ति का पहला चरण प्रकृति से प्रेम करना ही है। हरे-भरे पेड़, कल-कल करती नदियां, झूम-झूमकर बहते झरने, पक्षियों का कलरव और नीला अंबर देखकर जो उल्लासित न हो पाए तो समझो वह प्रकृति से विमुख है। इसलिए प्रकृति के जुड़ाव नितांत आवश्यक है।
स्वामी संजय ने बताया कि सतगुरु ओशो ने भक्ति मार्ग और प्रकृति पर आधारित अनेक व्याख्यान दिए हैं। संत ओशो कहते हैं कि प्रकृति को सुनने व समझने के लिए उससे जुड़ाव जरूरी है। संत ओशो ने मौन के महत्व को भी स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा है कि प्रकृति को समझने के लिए मौन होना जरूरी है। मौन होने से हमें अपने इर्द-गिर्द प्रकृति का संगीत सुनना शुरू हो जाता है, लेकिन हमने अपने चारों ओर शोरगुल का वातावरण बना लिया है और इस शोर में मौन होना ही भूलते जा रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/सुमन/संजीव
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