हिसार: मुंह-खुर की बीमारी से होने वाले आर्थिक नुकसान का हो सकेगा सटीक आंकलन

हिसार: मुंह-खुर की बीमारी से होने वाले आर्थिक नुकसान का हो सकेगा सटीक आंकलन
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हिसार: मुंह-खुर की बीमारी से होने वाले आर्थिक नुकसान का हो सकेगा सटीक आंकलन


-मुंह-खुर रोग के आर्थिक नुकसान का आंकलन करने वाले केलकुलेटर ऐप के लिए मिला कॉपीराइट

हिसार, 28 मई (हि.स.)। यहां के लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) को मुंह-खुर रोग के आर्थिक नुकसान पर आंकलन करने वाले कैलकुलेटर ऐप के लिए कॉपीराइट मिला है। इस ऐप की मदद से गाय, भैंस, भेड़-बकरी ओर सुअरों में मुंह-खुर की बीमारी (एफएमडी) के प्रकोप से होने वाले आर्थिक नुकसान का सटीक आंकलन किया जा सकता है।

लुवास कुलपति प्रो. (डॉ.) विनोद कुमार वर्मा के निर्देशानुसार, पशु चिकित्सा माइक्रोबायोलॉजी विभाग के वैज्ञानिकों ने यह ऐप डिजाइन किया था। इसके लिए कॉपीराइट अधिग्रहण (एसडब्ल्यू-18808/2024) प्राप्त हुआ है। कुलपति डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने मंगलवार को पशु चिकित्सा माइक्रोबायोलॉजी विभाग के वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना की तथा बौद्धिक संपदा, कॉपीराइट कार्यालय, भारत सरकार द्वारा जारी कॉपीराइट प्रमाण पत्र सार्वजनिक किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह ऐप मुंह-खुर रोग जैसे उभरते खतरों के बीच पशु स्वास्थ्य की सुरक्षा और कृषि स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण सिद्ध होगी। माइक्रोबायोलॉजी विभाग, लुवास में हुए शोध के आधार पर हरियाणा ऐसा पहला राज्य बना है जिसे पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार ने मुंह-खुर तथा गलघोटू रोग के संयुक्त टीकाकरण की अनुमति दी है।

लुवास एफएमडी ई-लॉस केलकुलेटर के बारे में डॉ. नरेश कक्कड़ ने बताया कि यह ऐप मुंह-खुर रोग के प्रकोप से होने वाले आर्थिक नुकसान का सटीक और आसानी से आंकलन की सुविधा देता है ओर रोग नियंत्रण कार्यक्रम के कार्यान्वयन को बढ़ाता है। इस अवसर पर डॉ. स्वाति दहिया ने बताया कि कि ऐप को बनाने की प्रक्रिया में पहले से मौजूद बेसलाइन डेटा का उपयोग और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग/सॉफ्टवेयर के साथ इसके इंटरफेस पर काम किया गया है, जिससे पशुओं के आयु और लिंग के अनुसार होने वाले नुकसान को सही तरीके से कैलकुलेट किया जा सकता है।

वैज्ञानिकों के टीम ने इस अवसर पर कुलपति प्रो.(डॉ.) विनोद कुमार वर्मा, कुलसचिव डॉ. एसएस ढाका, अनुसंधान निदेशक डॉ. नरेश जिंदल, पशु विज्ञान महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. गुलशन नारंग, स्नातकोत्तर अधिष्ठाता डॉ. मनोज रोज़, मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ. राजेश खुराना, पशु चिकित्सा सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. राजेश छाबड़ा का विशेषकर आभार प्रकट किया जिनके मार्गदर्शन में इस ऐप को बनाने तथा कॉपीराइट प्राप्त करने में सफलता मिली है।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव

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