हिसार: ब्रह्म-नाद ध्यान अत्यंत शांति और आत्मा का संवाद : आचार्य जितेंद्र
हिसार, 15 जनवरी (हि.स.)। ओशो सिद्धार्थ फाउंडेशन के तत्वाधान में ओशोधारा मैत्री संघ ने कौशिक नगर स्थित साधना केंद्र में मकर संक्रांति व ध्यान कार्यक्रम का आयोजन किया। आचार्य जितेंद्र ने ब्रह्म-नाद ध्यान का सेशन लिया।
आचार्य जितेन्द्र ने बताया कि ब्रह्म नाद, शब्द नाद और अनहद नाद ये तीनों एक ही है। इनका अर्थ बिना चोट से निकली आवाज है जिसमें ओम शब्द की साधना की जाती है, इसके उच्चारण से न केवल हम अच्छा महसूस करते हैं बल्कि शारीरिक और मानसिक तौर पर भी इसका लाभ मिलता है। इसको तीन चरणों में किया जाता है। पहले चरण में एक विश्राम पूर्ण मुद्रा में आँख और मुंह बंद करके बैठे। अब भौंरे की तरह गुंजार की ध्वनि निकालना शुरू करें। गुंजार इतना तीव्र हो कि तुम्हारे आस पास बैठे लोगों को यह सुनाई पड़ सकें और गुंजार की ध्वनि के कम्पन्न तुम्हारे पूरे शरीर में फैल सकें। दूसरे चरण में दोनों हथैलियां आकाशोन्मुखी फैला कर नाभि के पास से आगे की ओर बढ़ाते हुए चक्राकार घुमाएं।
दायां हाथ दायी और बायां हाथ बायी और चक्राकार घुमाएं और तब वर्तुल पूरा करते हुए दोनों हथेलियों को पूर्ववत नाभि के सामने वापस ले आएं। गति इतनी धीमी हो कि कई बार तो ऐसा लगेगा कि कोई गति ही नहीं हो रही है। भाव करें कि आप अपनी ऊर्जा बाहर ब्रह्मांड में फैलने दे रहे है और बाद में बाद हथेलियों को उलटा, भूमि उन्मुख कर लें और विपरीत दिशा में वृत्ताकार घुमाना शुरू करें। अब फैले हुए हाथ नाभि की और वापस आएँगे। फिर पेट के किनारे से बाहर वृत बनाते हुए बाजुओं में फैल कर फिर वृत को पूरा करते हुए नाभि की ओर वापस लौटेंगे। अनुभव करो कि तुम ऊर्जा भीतर ग्रहण कर रहे हो। तीसरे चरण में शांत और स्थिर होकर बैठे रहें या लेटे जाये।
ध्यान के बाद मकर संक्रांति पर कार्यक्रम किया गया जिसमें आचार्य सुभाष ने हमारे जीवन में उत्सवों का महत्व बताते हुए ओशोधारा के कार्यक्रमों के बारें चर्चा की। हर घर ध्यान के उद्देश्य को पूरा करने के लिए ओशोधारा हर सप्ताह पूरे देश में अलग-अलग जगहों पर ध्यान योग के 3 दिवसीय कार्यक्रम आयोजित करता है।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव
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