हिसार: संचार एवं सहयोग के चैनल स्थापित करेंगे दोनों विश्वविद्यालय : प्रो. नरसी राम बिश्नोई

हिसार: संचार एवं सहयोग के चैनल स्थापित करेंगे दोनों विश्वविद्यालय : प्रो. नरसी राम बिश्नोई
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हिसार: संचार एवं सहयोग के चैनल स्थापित करेंगे दोनों विश्वविद्यालय : प्रो. नरसी राम बिश्नोई


गुजविप्रौवि एवं लुवास के बीच हुआ एमओयू

हिसार, 29 अप्रैल (हि.स.)। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (गुजविप्रौवि) ने यहां के लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) के साथ मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टेंडिंग (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। दोनों विश्वविद्यालय कौशलयुक्त प्रशिक्षण, शिक्षण एवं अनुसंधान के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मिलकर कार्य करेंगे।

गुजविप्रौवि में सोमवार को हुए इस एमओयू पर गुजविप्रौवि के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने हस्ताक्षर किए, जबकि लुवास की ओर से निदेशक एचआरएम डॉ. राजेश खुराना ने हस्ताक्षर किए। गुजविप्रौवि के कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर, डीन इंटरनेशनल अफेयर्स प्रो. नमिता सिंह ने गुजविप्रौवि की ओर से तथा लुवास के अनुसंधान निदेशक डा. नरेश जिंदल व डीन सीओवीएस डा. गुलशन नारंग ने गवाह के रूप में हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर एसोसिएट डीन इंटरनेशनल अफेयर्स प्रो. अर्चना कपूर उपस्थित रही।

गुजविप्रौवि कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि यह एमओयू दोनों विश्वविद्यालयों के लिए अत्यंत उपयोगी होगा। दोनों विश्वविद्यालय संयुक्त रूप से संचार एवं सहयोग के चैनल स्थापित करेंगे, जो संस्थान और उसके संबंधित विभागों में उनके संबंधित कार्यों को बढ़ावा देंगे और आगे बढ़ाएंगे। दोनों संस्थान एक दूसरे को संभावित अवसरों के बारे में अवगत कराएंगे तथा एक दूसरे के लिए अतिरिक्त अवसर प्रदान करने के लिए प्रासंगिक सभी जानकारी सांझा करेंगे। दोनों संस्थानों के संकाय की बौद्धिक क्षमताओं के प्रभावी उपयोग की सुविधा प्रदान की जाएगी। संस्थान एक-दूसरे के साथ सहयोग करेंगे और इस एमओयू के संदर्भ में विचार किए गए कार्यों को प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक सभी प्रासंगिक समझौतों, कार्यों और दस्तावेजों को यथासंभव व्यावहारिक रूप से शीघ्रता से संपन्न करेंगे।

कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर ने कहा कि गुजविप्रौवि लुवास को गुजविप्रौवि के शैक्षणिक विभागों के समान एक शैक्षणिक और अनुसंधान केंद्र के रूप में मान्यता देगा तथा लुवास के शिक्षकों को शैक्षणिक और अनुसंधान कार्यों के लिए गुजविप्रौवि के शिक्षकों समान मान्यता देगा। साथ ही दोनों सहयोगी विश्वविद्यालय पीजी विद्यार्थियों को अपनी प्रयोगशालाओं में शोध करने का भी अवसर प्रदान करेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव

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