हिसार : तानसेन बनने से पहले कानसेन बनना जरूरी : सुरेश भारती 'नादान'

हिसार : तानसेन बनने से पहले कानसेन बनना जरूरी : सुरेश भारती 'नादान'
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हिसार : तानसेन बनने से पहले कानसेन बनना जरूरी : सुरेश भारती 'नादान'


हिसार : तानसेन बनने से पहले कानसेन बनना जरूरी : सुरेश भारती 'नादान'


हिसार, 15 अप्रैल (हि.स.)। राजगढ़ रोड स्थित राजकीय महाविद्यालय में हिन्दी साहित्य परिषद् की ओर से सोमवार को हिन्दी उच्चारण एवं भाषा की शुद्धता पर सुरेश भारती ‘नादान’ चर्चित साहित्यकार एवं गीतकार का विस्तृत व्याख्यान करवाया गया।

‘नादान’ ने एमए (हिन्दी) के विद्याथियों को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों को भाषा के उच्चारण एवं इसकी शुद्धता पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर बोलना जानते हैं तो सुनना भी आना चाहिए। आप में लिखने की अगर प्रतिभा है तो पहले आपको पढ़ने में रुचि लेनी चाहिए। साहित्य लेखन करने से पूर्व एक हजार किताब पढ़ने के बाद ही आप एक पंक्ति लिखें। अपने विस्तृत व्याख्यान को रुचिकर बनाते हुए उन्होंने बताया कि कुछ ऐसे प्रचलित शब्द हैं, जिन्हें आमतौर पर गलत बोला जाता है। उन्होंने कहा कि तानसेन बनने से पहले कानसेन बनना जरूरी है।

प्राचार्य डॉ. दीपमाला लोहान की अध्यक्षता में कार्यक्रम का मंच संचालन करते हुए डॉ. राजपाल ने कहा कि ‘नादान’ की लिखी रचनाओं को बॉलीवुड के मशहूर कलाकार जैसे भारत रत्न लता मंगेश्कर, महेन्द्र कपूर, सुरेश वाडेकर, शान, बाबुल सुप्रियो, सपना अवस्थी आदि ने स्वर दिया। इस अवसर पर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, शमशेर सिंह, डॉ. कमलेश, जीतबाला एवं समस्त एमए हिन्दी के विद्यार्थी उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/सुमन/संजीव

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