वेदों के सिद्धांतों के प्रचारक थे महर्षि दयानंद सरस्वती : बलवीर आचार्य
आर्य समाज नागोरी गेट का वार्षिकोत्सव का समापन
हिसार, 26 नवंबर (हि.स.)। वैदिक विद्वान प्रोफेसर बलवीर आचार्य ने कहा है कि कि भारतीय समाज के पुनर्जागरण में आर्य समाज और महर्षि दयानंद सरस्वती ने अग्रणी भूमिका निभाई है। उन्होंने विलुप्त वेदों के सार्वभौमिक, सार्वजनिक एवं सर्वकालिक ज्ञान-विज्ञान एवं सांस्कृतिक ज्ञान का प्रचार करके यह बताया कि मानव मात्र प्रभु के पुत्र हैं।
प्रो. बलबीर सिंह आर्य रविवार को आर्य समाज लाला लाजपत राय चौक नागोरी गेट के 137वें वार्षिकोत्सव के अंतिम दिन की सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वेदों के अनुसार ना कोई छोटा है और ना बड़ा। स्त्री पुरुष सब बराबर है, छुआछूत समाज का कलंक है, सबको वेद पढऩे का अधिकार है। आधुनिक भारत में महिला और दलितों को वेद पढऩे का अवसर आर्य समाज ने दिया।
कोलकाता से पहुंचे भजनोपदेशक कैलाश कर्मठ ने ईश्वर भक्ति के मधुर भजनों के भक्ति रस से सबको आत्मिक आनंद में डुबो दिया। उन्होंने बताया कि महर्षि दयानंद के कारण ही दलित परिवारों के बच्चे वेदों के प्रचंड विद्वान बने और उन्होंने राष्ट्र के उत्थान में अपूर्व योगदान दिया। आज भी आर्य समाज द्वारा संचालित गुरुकुलों में बिना किसी भेदभाव के सभी वेदों का अध्ययन कर रहे हैं। यज्ञ का संपादन वैदिक विद्वान कर्मवीर शास्त्री ने किया। मंच का संचालन स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती ने किया। कार्यक्रम के समापन पर ऋषि लंगर की व्यवस्था की गई।
सत्संग में सीएवी सेकेंडरी स्कूल एवं जगन्नाथ आर्य कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के अध्यापक एवं छात्रों के अतिरिक्त आर्य समाज के गणमान्य प्रधान हरिसिंह सैनी प्रधान, मंत्री नरेंद्र मिगलानी, कार्यकारी प्रधान देवेंद्र सैनी, उप प्रधान दलबीर आर्य, प्रचार मंत्री राधेश्याम आर्य, बलराज मलिक, नंदलाल चोपड़ा, डॉ. मिश्रीलाल आर्य, महावीर खेड़ा, सुरेंद्र रावल, सत्येंद्र रावल, ईश आर्य, लालदेव शास्त्री, विश्व देव शास्त्री, विनय मल्होत्रा, ललिता शास्त्री, कुलदीप ग्रोवर व श्याम सुंदर आदि उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर
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