हिसार:देश की प्रगति और उन्नति के लिए हो रहा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग:प्रो. उमेश आर्य
संसद में ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस,उपयोग और चुनौतियां’ पर विशेष व्याख्यान आयोजित
हिसार, 7 अक्टूबर (हि.स.)। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग देश की प्रगति और उन्नति के लिए हो रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सामग्री निर्माण की प्रक्रिया को सरल व तेज बन सकता है। विभिन्न तकनीक जैसे मशीन लर्निंग, डाटा एनालिसिस का उपयोग कर अनेक प्रकार की सामग्री जैसे लेख, वीडियो व चित्रों का उत्पादन किया जा सकता है लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की कुछ नैतिक व कानूनी चुनौतियां भी हैं। इसके उपयोग में मौलिकता की कमी हो सकती है, और यह पहले से ही मौजूद सामग्री की नकल हो सकती है।
यह बात नई दिल्ली में भारतीय संसद के उच्च अधिकारियों को संबोधित करते हुए गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के प्रो. उमेश आर्य ने कही। प्रो. आर्य सोमवार को भारतीय संसद में आयोजित विशेष व्याख्यान ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: उपयोग और चुनौतियां’ विषय पर बोल रहे थे। संसद अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि आज हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल अपने आधिकारिक कार्यों में भी करने लगे है। तकनीक हमारी रचनात्मकता को बढ़ावा देती है लेकिन इसके उपयोग के समय इसके संभावित प्रभावों के बारे में भी विचार करना जरूरी है।
प्रोफेसर आर्य ने सभी को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ जिम्मेदारी से काम करने की सलाह दी ताकि इसका लाभ उठाया जा सके। उन्होंने कहा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को इस्तेमाल करने की अपनी सीमाएं भी है, हमें इससे जुड़े जोखिम के बारे में भी सचेत रहना चाहिए। इससे जुड़ी हुई कुछ मौलिक व कानूनी चुनौतियां भी हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करते हुए हमें इसके दिशा निर्देशों का भी पता होना जरूरी है ताकि हम अच्छा कंटेंट बना सकते हैं।
प्रोफेसर आर्य जनसंचार विभाग विभाग के वरिष्ठ अध्यापकों में शामिल हैं। वे यहां पिछले में पिछले 27 साल से कार्यरत हैं। शोध के क्षेत्र में इन्होंने विशेष योगदान देते हुए 45 शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। ये कंप्यूटर मीडिएटेड कम्युनिकेशन के साथ-साथ अंतराव्यक्तिक संचार के विशेषज्ञ हैं। ये संचार के क्षेत्र में खोज करते रहते हैं और कारपोरेट सेक्टर के साथ जुड़कर भी इन्होंने विशेष व्याख्यान दिए हैं। न्यू मीडिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भी उनकी विशेष पहचान है। ये पूरे देश में गूगल न्यूज इनिशिएटिव के प्रशिक्षक के तौर पर भी जाने जाते हैं। विश्वविद्यालय में प्रो. आर्य एचआरडीसी में 3800 से ज्यादा विशेष व्याख्यान दे चुके हैं। इस अवसर पर प्रोफेसर उमेश आर्य ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया और आशा व्यक्त की कि इस विषय पर आगे भी चर्चा होती रहेगी। उनका मानना है कि संवाद और शिक्षा से ही हमें इस तेजी से बदलती तकनीकी युग में आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर
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