यमुनानगर: ऋषि मुनियों ने भी सरस्वती नदी किनारे धर्म ग्रंथों की रचना की: कंवर पाल
यमुनानगर, 11 फरवरी (हि.स.)। प्रसिद्ध आदिबद्री यमुनानगर में रविवार को अन्तर्राष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव का पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ आगाज हुआ। इस मौके पर मुख्य अतिथि स्कूल शिक्षा मंत्री कंवरपाल ने पौधारोपण किया। सरस्वती सरोवर को हजारों द्वीपों से सजाया गया। महोत्सव में शंख नाद के साथ सरस्वती जी की आरती भी की गई।
इस मौके पर स्कूल शिक्षा मंत्री कंवर पाल ने कहा कि सरस्वती नदी की धारा को धरातल पर बहाने के लिए बनाई गई कार्य योजना अंतिम चरण में हैं। जिसके तहत आदिबद्री क्षेत्र में सरस्वती जल भंडारण बांध बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि ऋषि-मुनियों ने सरस्वती नदी के किनारे अनेकों धर्म ग्रंथों की रचना की है। उन्होंने कहा कि प्रकृति की स्वाभाविक अदला-बदली से सरस्वती नदी लुप्त हो गई जिसे पुन: धरा पर लाया जाएगा जिसके लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री और केंद्रीय जल मंत्रालय प्रयत्नशील है। उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी के किनारे भारत की सभ्यता व संस्कृति विकसित हुई। उन्होंने सरस्वती शोध संस्थान के संस्थापक, स्वतंत्रता सेनानी एवं पद्मभूषण स्वर्गीय दर्शन लाल जैन के सरस्वती नदी के प्रति उनकी आस्था और इसके पुर्नउद्धार के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयासों को स्मरण किया गया।
यमुनानगर के विधायक घनश्याम दास अरोड़ा ने कहा कि वैज्ञानिकों ने दोबारा सरस्वती नदी की खोज की और यह सिद्ध कर दिया है कि आदिबद्री में ही सरस्वती नदी का उद्गम स्थल है। उन्होंने कहा कि आदिबद्री केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा विशेष कदम उठाए जा रहे हैं। कार्यक्रम में बिलासपुर के विभिन्न स्कूलों की छात्राओं ने सरस्वती वंदना व अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। हरियाणा कला परिषद कुरुक्षेत्र की ओर से भी रागनी प्रस्तुत की गई। इस मौके पर भाजपा के जिला अध्यक्ष राजेश सपरा, पूर्व विधायक बलवंत सिंह, हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह सहित बड़ी संख्या में गणमान्य शामिल रहें।
हिन्दुस्थान समाचार/अवतार/संजीव
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