हरियाणा सरकार बताए, ग्रीन जोन में शामिल हुए गांव कैसे यैलो जोन में पहुंचे: अनुराग टांडा
आआपा ने कैथल, सिरसा व फतेहाबाद पर एक रिपोर्ट मीडिया को जारी की
चंडीगढ़, 8 नवंबर (हि.स.)। एक तरफ जहां पराली जलाने के मुद्दे पर हरियाणा सरकार पंजाब व दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आआपा) सरकारों को घेर रही है। इसके जवाब में आआपा ने हरियाणा सरकार की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा किया। आआपा ने कहा कि पिछले साल पराली न जलाने के कारण ग्रीन जोन में शामिल हुए गांव इस बार येलो जोन में कैसे शामिल हो गए हैं, इसके लिए सरकार जिम्मेदार है।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा बुधवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसान पराली प्रबंधन के मामले में दोषी नहीं है, बल्कि पीड़ित है। राज्य सरकार ने छह सौ किसानों पर लाखों रुपये जुर्माना लगाकर उनका शोषण किया।
अनुराग ढांडा ने कहा कि आंकड़ों से पता चलता है कि ऐसे गांव जो पिछले वर्ष ग्रीन जोन में थे, उनमें पराली जलाने के केस मिले हैं। कैथल जिले के गांव चौशाला, सांच, दुसेरपुर और खेड़ी शेरू समेत 11 ऐसे गांव हैं, जो पिछले वर्ष ग्रीन जोन में थे, वहीं इस वर्ष इनमें किसानों ने पराली जलाई है। वहीं, उन्होंने सिरसा का उदहारण देते हुए कहा कि यहां के गांव मलारी, दादू, दादरी, देशू मलकाना समेत कुल मिलाकर 15 ऐसे गांव थे, जो ग्रीन जोन में थे।
जिला फतेहाबाद के गांव का जिक्र करते हुए टांडा ने कहा कि यहां के गांव हमजापुर, तेलीवाडा, बिसला और खजूरी समेत 13 गांव ऐसे हैं, जो ग्रीन जोन में थे, लेकिन इस बार पराली जलाने की घटनाएं हुई हैं। कुल मिलाकर लगभग हर जिले में पराली जलाने की सैकड़ों घटनाएं दर्ज की गई हैं। उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार की अनदेखी की वजह से किसान पराली जलाने को मजबूर हुए हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों को न तो कोई मशीनरी और न ही कोई संसाधन मुहैया करवाया। इस वजह से ग्रीन जोन के किसान भी पराली जलाने को मजबूर हैं। पिछले वर्ष सोसाइटी बनाकर 80 फीसदी एससी किसानों को पराली निस्तारण यंत्र की सब्सिडी दी गई थी, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि सरकार भुवन एप के डेटा के माध्यम से पराली जलाने के कम घटनाएं होने का दावा कर रही है, जबकि इसकी सच्चाई ये है कि सैटेलाइट सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक पराली जलाने की घटनाएं रिकॉर्ड करता है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में देश का सबसे कम साढ़े 3 प्रतिशत ग्रीन कवर है, जबकि दिल्ली में ग्रीन कवर 23 फीसदी है। उन्होंने कहा कि हर साल खट्टर सरकार घोषणा करती है कि 20 लाख पेड़ लगाए जायेंगे, 40 लाख पेड़ लगाए जायेंगे। यह घोषणाएं सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गई है।
हिन्दुस्थान समाचार/संजीव/सुनील
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।