जींद: किसान आंदोलन मेंमेरे इस्तीफे से क्या सरकार टूट जाती: दुष्यंत चौटाला

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जींद: किसान आंदोलन मेंमेरे इस्तीफे से क्या सरकार टूट जाती: दुष्यंत चौटाला


जींद, 7 दिसंबर (हि.स.)। पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि यह पार्टी का स्थापना दिवस बहुत महत्वपूर्ण क्षण है। आज हम सब यहां इकट्ठे हुए हैं। करीब पांच साल पहले की बात करें तो भाजपा को साढ़े 11 साल हरियाणा व केंद्र में सरकार चलाते हुए हो चुके हैं। आप सब जानते हो कैसे चला रहे हैं। अगर 2019 में गठबंधन नहीं होता तो अब जो जजपा के विधायक भाग गए हैं तो उस समय भी भाग जाते और ना ही चाबी का चुनाव का चिन्ह बचता।

दुष्यंत चौटाला रविवार को जेजेपी पार्टी के आठवें स्थापना दिवस पर जुलाना में आयोजित रैली को संबोधित कर रहे थे। रैली मंच पर जब भाषण देने दुष्यंत चौटाला उठे तो लोगों के द्वारा आया-आया भावी मुख्यमंत्री आया आया के पूरे जोर-शोर से नारे लगाए गए। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि उन्होंने गठबंधन इसलिए किया था कि चंडीगढ़ में आपके लिए दरवाजे खुले रहें। चाहे मुलाकात हुई हो या ना हुई हो काम हुआ हो या नहीं हुआ हो लेकिन आप सबके लिए ठिकाना खुला था। आज वहां कोई नहीं बैठा जो आपके लिए दिन-रात कार्य कर रहा हो। ना ही आपकी कोई सुनने वाला चंडीगढ़ में है।

उन्होंने कहा कि यदि मैं पूर्व में उप मुख्यमंत्री नहीं होता तो आपको बुढ़ापा पेंशन या अन्य लाभ नहीं मिलते लेकिन सारे संगठन हमारे पीछे षडय़ंत्र के तहत पड़ गए। इनकी सोच थी कि यदि जेजेपी को नहीं रोका तो मुश्किल होगी हमारे लिए खतरा होगा और उनकी अगली पीढियों के लिए भी खतरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के समय कहा गया कि दुष्यंत चौटाला इस्तीफा दे दे, क्या मेरे इस्तीफा देने से सरकार टूट जाती। कांग्रेस की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि जिसने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, वह भी हमारे पीछे पड़ गए। जो लोग ड्राइंग रूम की राजनीति करते हैं, वह ज्यादा कामयाब है, ग्राउंड की राजनीतिक करने वाले नहीं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि कुमारी शैलजा के कहने से उकलाना व नारनौंद की टिकट 2024 में कांग्रेस पार्टी दे देती थी तो कांग्रेस 45 पार कर लेती। जैसे राई विधानसभा का उम्मीदवार और इसी तरह उचाना में षडय़ंत्र के तहत निर्दलीय का चुनाव नही लड़वाते तो कांग्रेस पार्टी 45 पर कर लेती। कांग्रेस वाले ड्राइंग रूम में बैठकर राजनीति करते रहे और हम सड़क मापते रहे। राजनीति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / विजेंद्र मराठा

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