गुरुग्राम : महंगी कारों के शहर गुरुग्राम में साइकिल चलाने वालों के लिए जताई गई चिंता
-साइकिल चालकों की राह आसान करने पर हुआ मंथन
-गुरुग्राम के सिटी मजिस्ट्रेट ने पैनल चर्चा में रखी अपनी बात
गुरुग्राम, 8 दिसंबर (हि.स.)। शहर में इन दिनों साइकलिंग के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे की जरूरत जैसे जरूरी विषय को लेकर गुरुवार को टू व्हील्स गुरुग्राम कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस पांच दिवसीय कार्यक्रम और कला प्रदर्शनी का आयोजन सस्टेनेबल मोबिलिटी नेटवर्क ने किया, जो 20 से ज्यादा ऐसे संगठनों का देशव्यापी नेटवर्क है। यह पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने वाले परिवहन और यातायात के साधनों की दिशा में काम करते हैं।
इस कार्यक्रम में साइकिल चालकों और उनकी सुरक्षा को लेकर चर्चा को गति देने के लिए एक समूह चर्चा की गई। जिसमें सिटी मजिस्ट्रेट गुरुग्राम दर्शन यादव, राहगिरी फाउंडेशन की सह-संस्थापक एवं ट्रस्टी सारिका पांडा भट्ट, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी, परपज क्लाइमेट लैब के निदेशक हरप्रीत बग्गा, सेफ्टीपिन के सह-संस्थापक एवं सीईओ कल्पना विश्वनाथ ने भाग लिया।
अपने संबोधन में सिटी मजिस्ट्रेट दर्शन यादव ने कहा कि किसी भी नियोजित शहर की योजना बनाने से पहले उसके बारे में एक स्पष्ट विजन होना जरूरी है। टू व्हील्स गुरुग्राम को साकार करने के लिए हमें संभावनाओं को समझना होगा और फिर उसके लिए एक आदर्श विजन तैयार करनी होगी। हमें गुरुग्राम में ऐसी कम से कम दस सड़कों की पहचान करनी होगी, जिन्हें बेहतर साइक्लिंग और वॉकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है। इसके बाद हम डिजाइनरों और आर्किटैक्ट्स को जोड़कर इन योजनाओं को साकार कर सकते हैं।
समर्थयम नेशनल सेंटर फॉर एक्सेसिबल एन्वायरनमेंट्स की निदेशक निधि मदान ने कहा कि किसी भी सस्टेनेबल शहर की योजना बनाने के लिए हमें विभिन्न पहलुओं पर विचार करना चाहिए। यदि यह काम ठीक से हो गया तो हम न सिर्फ साइकिल फ्रेंडली शहर बना सकते हैं, बल्कि एक सस्टेनेबल और लिवेबल सिटी को भी तैयार करने में सक्षम बन जाएंगे।
सारिका पांडा भट्ट ने कहा कि हम पिछले कई वर्षों से गुरुग्राम को साइक्लिंग के लिहाज से सुरक्षित क्षेत्र बनाने के लिए काम कर रहे हैं। इस दिशा में कुछ प्रगति हुई है, लेकिन इतना ही काफी नहीं है। साइकिल सवारों का अपनी जान से हाथ धोना जारी है। शहर में अन्य रोड इंफ्रास्ट्रक्चर काफी प्रभावी है। अब समय आ गया है कि हम इस बात को स्वीकार करें कि शहर में साइक्लिस्टों की संख्या काफी है। उन्हें बेखौफ होकर शहर में यहां से वहां साइकिल की सवारी करने की आजादी मिलनी चाहिए।
चर्चा में जानकारी दी गई कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएल) के मुताबिक सिर्फ 8 फीसदी भारतीय परिवारों के पास ही गाडिय़ां हैं। 50 फीसदी से ज्यादा लोग बाइसाइिकल का ही इस्तेमाल करते हैं। इनमें से ज्यादातर साइकिल मालिकों में वे लोग भी शामिल हैं, जो जीवनयापन के साधन तक साइकिल से पहुंचते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/ ईश्वर/संजीव
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