नहाय खाय के साथ छठ महापर्व शुरू, खरना शनिवार को
चने की दाल, लौकी व चावल खाकर की व्रत की शुरुआत
शनिवार को खरना के साथ शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला उपवास
झज्जर, 17 नवंबर (हि.स.)। सूर्योपासना का महापर्व छठ शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। सुबह महिलाओं ने स्नान कर घर की सफाई की। इसके बाद छठ गीतों के साथ चने की दाल, लौकी की सब्जी और चावल खाकर व्रत की शुरुआत की। इस व्रत में सफाई और परंपरा का विशेष ध्यान रखा जाता है।
शुक्रवार से घर के अन्य सदस्यों का उस कमरे में प्रवेश बंद रहेगा जिसमें व्रती महिलाएं या पुरुष रहेंगे और छठ पूजा का सामान रखने के साथ पकवान तैयार किए जाएंगे। नहाय-खाय के साथ शुरू होने वाले इस पर्व पर बाजारों में शुक्रवार को लौकी और चने की दाल की दुकानों पर भीड़ रही। शनिवार को निर्जला व्रत (खरना) रखकर शाम को गुण की खीर, रोटी व फल खाएंगे। पूर्वांचल परिवार के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप सिन्हा ने बताया कि रविवार को निर्जल व्रत रख डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे और सोमवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार के मंगल की कामना करेंगे।
हर साल छठ का व्रत रखने वाली मोनिका कुमारी ने बताया कि इस व्रत के लिए शुद्धता का बहुत ज्यादा ख्याल रखा जाता है। इसके साथ ही यह पर्व परंपरा के साथ ही मनाया जाता है। प्रसाद बनाने के लिए मिट्टी के चूल्हे का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि यह नया होता है और मिट्टी को शुद्ध माना जाता है। कई लोग चूल्हे पर नहीं बना पाते हैं तो उन्हें गैस के नए चूल्हे पर प्रसाद बनाना होता है।
शुक्रवार को पर्व शुरू होने के साथ ही बाजारों में पूजा सामग्री में प्रयोग होने वाले सामान की खरीदारी के लिए बाजारों में भीड़ उमड़ी। घाट, बाजारों में महिलाएं व पुरुष सुपली और दौरा की खरीदारी करते हुए नजर आए। इसके साथ ही फलों व अन्य सामान के लिए भी बाजार में भीड़भाड़ रही। भले ही 20-25 साल पहले बहादुरगढ़ में गिनती के घरों में छठ मनाया जाता हो, लेकिन आज बहादुरगढ़ का हर एक कोना इस पर्व पर भक्तिमय हो जाता है। समय के साथ पर्व से जुड़े बाजार का भी विस्तार होता चला जा रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार/ शील
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