पेंशनर्स फिर आंदोलन की राह पर, मुख्यमंत्री के वार्ता पर ना बुलाने से नाराज
धर्मशाला, 17 दिसंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश पैंशनर्ज संघर्ष समिति एक बार फिर सरकार के खिलाफ आंदोलन की तैयारी कर रही है। पेंशनर्स संघर्ष समिति को विधानसभा के शीत सत्र के वायदे के मुताबिक वार्ता को न बुलाने पर आक्रोश देखने को मिस्ल रहा है। समिति के पदाधिकारियों ने आक्रोशित शब्दों कहा कि मांगें अभी भी लंबित चल रही हैं, ऐसे में उन्होंने फिर से उग्र आंदोलन की चेतावनी दे दी है। पैंशनर्ज दिवस के उपलक्ष्य में जिला मुख्यालय धर्मशाला में आयोजित समारोह में लंबित हकों को लेकर आक्रोश भी देखने को मिला।
संयुक्त संघर्ष समिति एवं राज्य पैंशनर्ज संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने 28 नवम्बर को विधानसभा तवोवन धर्मशाला में किए गए वायदे से मुकरते व पलटते हुए बुधवार को पैंशनर्ज-डे से पूर्व पेंशनर्स संयुक्त संघर्ष समिति को वार्तालाप के लिए नहीं बुलाया है। साथ ही पेंशनर्स दिवस के अवसर पर स्वयंभू पैंशनर्ज नेताओं द्वारा मनाए जा रहे समारोह में मुख्यातिथि के रूप में घुमारवीं में शिरकत करने की आलोचना की है। विभाजन और राज करो की नीति को चरितार्थ करते हुए कुछ नए मुद्दों को जन्म देना अति निंदनीय और अशोभनीय है।
उन्होंने कहा कि पैंशनर्ज दिवस में ज्वलंत मुद्दों पर भी चर्चा की गई और चिर लंबित देनदारियों, वित्तिय लाभों को प्राप्त करने के लिए पुन: लामबंद होने पर मंथन किया गया है और हमारी एकता ही हमारी शक्ति है के मूल मंत्र से संघर्ष को निरंतर जारी रखने का आह्वान किया गया।
प्रदेशाध्यक्ष सुरेश ठाकुर ने कहा कि पहली जनवरी 2016 से 31 जनवरी 2022 तक के पेंशनरों को अभी तक संशोधित ग्रैच्युटी, कम्युटेशन व लीव इनकैशमेंट का लाभ नहीं मिला है। छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार केवल 50 हजार की एक किस्त पिछली सरकार द्वारा 2022 में दी गई थी, शेष राशि जो चार-पांच लाख से ऊपर है, अभी लम्बित है। हिमाचल पथ परिवहन को तो 50 हजार की किश्त भी नहीं मिली है। मंहगाई राहत भत्ते की 142 माह की शेष राशि लंबित है। मंहगाई राहत भत्ता 13 प्रतिशत भी लंबित है और जुलाई 2023 से केन्द्र की तर्ज पर 4 फीसदी की किस्त देय थी, जो एक प्रतिशत घटाकर 3 प्रतिशत दी गई है। इसके लिए पेंशनरों में भारी रोष है। पिछले पांच वर्षों से चिकित्सा भत्ता बिल लम्बित है और बहुत सारे पेंशनर गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं। कुछ तो पैसों के अभाव में उचित उपचार से वंचित स्वर्ग सिधार चुके हैं।
उन्होंने उक्त मांगों पर जल्द उचित कदम न उठाए जाने पर फिर से शिमला सचिवालय व प्रदेश सरकार का बजट सत्र के दौरान घेराव करने को चेताया है।
हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया

