नारनौलः डिजिटल व्यवस्थाओं ने किसानों का सीधा संपर्क सरकार से जोड़ा
-परंपरागत खेती छोड़ स्मार्ट बनने की राह पर चले किसान
नारनाैल 22 दिसंबर (हि.स.)। जिला के गांव अमरपुर जोरासी में सोमवार का नजारा किसी उत्सव से कम नहीं था। एक तरफ रंग-बिरंगे स्टॉल्स पर सजे उन्नत बीज और खाद किसानों को आकर्षित कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर मिनी-ड्रिप सिंचाई प्रणाली पर किसान विशेष रुचि ले रहे थे। मौका था जिला स्तरीय बागवानी सेमिनार का, जहां स्वयं सहायता समूहों, एफपीओ और खाद-बीज कंपनियों की प्रदर्शनी ने किसानों को तकनीक से रूबरू करवाया। इस प्रदर्शनी में विशेषज्ञों ने ड्रिप सिंचाई और नई कृषि तकनीकों का सजीव प्रदर्शन किया। साथ ही किसानों की शंकाओं को दूर किया।
प्रदर्शनी में प्रगतिशील किसानों और समूहों ने पारंपरिक खेती के घेरे से बाहर निकलकर स्मार्ट फार्मिंग की ओर आगे बढ़ाने की उत्सुकता दिखाई।
कार्यक्रम में मौजूद किसानों ने हरियाणा सरकार की बागवानी समर्थक नीतियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इससे उन्हें खेती में नई तकनीक के साथ जुड़ने का मौका मिलेगा।
इस मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंची उपनिदेशक उद्यान डा पिंकी यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना और हॉर्टनेट पोर्टल जैसी डिजिटल व्यवस्थाओं ने किसानों का सीधा संपर्क सरकार से जोड़ दिया है। जिला उद्यान अधिकारी डा प्रेम कुमार और डा सांवरमल चौधरी ने पोर्टल आधारित रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया समझाकर तकनीक को सरल बनाया। वहीं कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण साझा किया। कार्यक्रम में गांव के सरपंच हरिराम और क्षेत्र के करीब 250 प्रगतिशील किसान मौजूद रहे।
प्रगतिशील किसानों ने बताई सफलता की कहानी
सेमिनार में गांव खायरा के प्रगतिशील किसान योगेंद्र ने मशरूम खेती से मिली अपनी सफलता की कहानी सुनाई। उनकी कहानी इस बात का प्रमाण है कि यदि सरकार का साथ और सही तकनीक का हाथ हो, तो बंजर दिखती उम्मीदों में भी खुशहाली की फसल लहलहा सकती है। इसके अलावा पवन तथा मुकेश अमरपुर जोरासी ने कीनू बागवानी के बारे में जानकारी दी।
बागवानी बीमा योजना से फसलों को मिला सुरक्षा कवच
जिला उद्यान अधिकारी डा प्रेम कुमार ने किसानों को जोखिम से बचाने के लिए ‘मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना’ की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सब्जियों व मसालों के लिए 750 रुपये प्रति एकड़ प्रीमियम पर 30 हजार रुपये का बीमा तथा फलों की खेती के लिए एक हजार रुपये प्रति एकड़ प्रीमियम पर 40 हजार रुपये का बीमा दिया जाता है। इच्छुक किसान पंजीकरण कर अपनी फसल सुरक्षित कर सकते हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्याम सुंदर शुक्ला

