कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर जेएनयू में कार्यशाला का आयोजन
नई दिल्ली, 29 फरवरी (हि.स.)। सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमता (अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के उपयोग से जुडी संभावनाओं को लेकर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में गुरुवार को एक दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन किया गया। सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) और सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (सीएआरडीसी) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित वर्कशॉप की अध्यक्षता सीएमएस चैयरपर्सन डॉ शुचि यादव ने की, जबकि स्पीकर के रूप में इंडिजिनियस व रियलवर्सिटी के सह-संस्थापक निकोलस बुकर एवं मुख्य अतिथि के रूप में सीएआरडीसी की निदेशक डॉ अमृता शिल्पी ने हिस्सा लिया।
‘एआई फॉर सोशल साइंटिस्ट : हाउ स्कॉलर्स कैन नाउ बिल्ड एआई टूल’ विषय पर आयोजित वर्कशॉप में हिस्सा लेने वाले छात्रों को संबोधित करते हुए इंडिजिनियस व रियलवर्सिटी के सह-संस्थापक निकोलस बुकर ने 21वीं सदी के दो प्रमुख रुझानों के विषय में चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह तेजी से विकास और अर्थव्यवस्था के केंद्र के रूप में भारत और एशिया के फिर से उभरने का युग है। उन्होंने विस्तार से बताया कि अर्थव्यवस्था, संस्कृति और भू-राजनीतिक महत्व के मामले में कश्मीर अगले दस वर्षों में अपनी दो हजार वर्ष पुरानी शक्ति को पुनः प्राप्त कर लेगा।
मनुष्य बनाम एआई की बहस पर ध्यान केंद्रित करते हुए उन्होंने कहा कि उच्च दक्षता वाले परिणाम प्राप्त करने के लिए दोनों बुद्धिमत्ता को एक साथ काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने सहानुभूति, सही प्रश्न पूछना, अभिव्यक्ति और बेहतर संचार जैसे नए कौशल पर जोर दिया, जो आने वाले समय में केंद्र पर होंगे।
वर्कशॉप में सीएमएस की चेयरपर्सन डॉ शुचि यादव ने सामाजिक विज्ञान में अंतःविषयकता के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि मनुष्य हमेशा किसी भी शोध का केंद्र रहेगा। एआई और मानव साथ-साथ चलेंगे।
वर्कशॉप में प्रतिभागियों को अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग करने का व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया, जिससे वह सामाजिक वैज्ञानिक के रूप में अपने शोध कार्य में एआई का लाभ उठा सकें। ओपन एआई और अन्य सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके प्रतिभागियों ने वर्कशॉप में सीखा कि यूट्यूब से हिंदी भाषा के समाचार मीडिया को खींचने, ट्रांसक्राइब करने, अंग्रेजी में अनुवाद करने और अर्थ विश्लेषण के लिए इसे संसाधित करने के लिए एआई का उपयोग कैसे किया जाए।
वर्कशॉप में सामाजिक विज्ञान में एआई के व्यावहारिक अनुप्रयोगों को प्रदर्शित किया गया। साथ ही इस अंतःविषय दृष्टिकोण के नैतिक विचारों और भविष्य के प्रभावों पर एक संवाद को बढ़ावा दिया। वर्कशॉप में सीएआरडीसी निदेशक अमृता शिल्पी, सीएमएस जेएनयू की एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ अर्चना कुमारी और डॉ सी. लालमुआनसांग किमी सहित विभिन्न विभागों के शोधार्थियों ने हिस्सा लिया।
हिन्दुस्थान समाचार/सुशील/आकाश
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