उर्दू प्रेमियों को कव्वाली सुनने के लिए अदा करना पड़ा प्रवेश शुल्क

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उर्दू प्रेमियों को कव्वाली सुनने के लिए अदा करना पड़ा प्रवेश शुल्क


नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (हि.स.)। उर्दू प्रेमियों को उस समय जोर का झटका लगा, जब कव्वाली की शाम का लुत्फ लेने के लिए वह हुमायूं का मकबरा स्थित सुंदर नर्सरी पहुंचे। कव्वाली के शौकीन लोगों को दिल्ली सरकार के अधीन कार्य करने वाली दिल्ली उर्दू अकादमी के इस कार्यक्रम में प्रवेश के लिए शुल्क मांगे गए। इससे मायूस बहुत से लोग बिना कव्वाली सुने ही वापस लौट गए।

दरअसल यहां पर गत 26 अक्टूबर की शाम में दिल्ली उर्दू अकादमी की तरफ से एक कव्वाली का कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें उर्दू से मोहब्बत रखने वालों से भाग लेने की अपील की गई थी। जब लोग कव्वाली सुनने के लिए वहां पहुंचे तो उन्हें पता चला कि सुंदर नर्सरी में एंट्री के लिए प्रति व्यक्ति 50 रूपये का टिकट लेना पड़ेगा। वहां पहुंचे लोगों को यह सुनकर जोर का झटका लगा। वहां अपने परिवार के साथ पहुंचे कुछ लोग तो अंदर जाने के बजाय वापस जाने पर मजबूर भी हो गए क्योंकि उनके पास टिकट खरीदने के लिए पैसे मौजूद नहीं थे। गेट पर बने टिकट घर पर कुछ लोगों को हंगामा करते हुए भी देखा गया। वहां पर उनकी सुनने वाला भी कोई नहीं था।

इसके पीछे आयोजकों की दलील है कि पार्क में एंट्री करने के लिए 50 रुपये देना शुल्क जरूरी है लेकिन उर्दू अकादमी का कोई जिम्मेदार भी गेट पर मौजूद नहीं था जो की लोगों को यह समझा सकता कि पार्क में आने के लिए एंट्री शुल्क देना ही पड़ेगा। देर रात तक चलने वाले इस कार्यक्रम में उर्दू अकादमी की हरकत की वजह से बहुत कम ही लोग भाग ले पाए।

दूसरी तरफ खुले पार्क में कार्यक्रम होने की वजह से वहां पर लगाई गई लाइटों से बड़ी तादाद में कीट-पतंगे, और कीड़े मकोड़े आ गए थे जिसकी वजह से वहां मौजूद लोगों को एक सेकंड का भी सुकून नसीब नहीं हुआ। यहां तक कि स्टेज पर कव्वाली की पेशकश करने वाले कव्वाल और उनके साथियों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

सोशल मीडिया पर भी दिल्ली उर्दू अकादमी के इस कव्वाली कार्यक्रम में प्रवेश शुल्क लिए जाने का मामला काफी छाया हुआ है। सोशल मीडिया पर लोग इसका विरोध कर रहे हैं और इसके लिए उर्दू अकादमी के जिम्मेदारों को बुरा भला भी कह रहे हैं। लोगों का कहना है कि ऐसी जगह का चयन आखिर क्यों किया जाता है जहां पर प्रवेश के लिए शुल्क देना पड़ता है। जब उर्दू अकादमी कार्यक्रम के लिए जगह का किराया दे रही है तो वहां पर आने वाले लोगों को निशुल्क प्रवेश दिया जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो उर्दू अकादमी को ऐसे स्थान पर कार्यक्रम नहीं करना चाहिए। अगर वहां पर कार्यक्रम करना जरुरी है तो जहां लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं तो कुछ हजार रुपये प्रवेश शुल्क का भी जमा करा देना चाहिए।

दिल्ली सरकार के तहत आने वाली दिल्ली उर्दू अकादमी को दिल्ली में उर्दू के प्रचार-प्रसार के लिए बजट दिया जाता है लेकिन दिल्ली उर्दू अकादमी के कार्यक्रम में ही लोगों को पैसे देने पड़ेंगे तो भला इनका रुख कौन करेगा। इस सिलसिले में जब दिल्ली उर्दू अकादमी के वाइस चेयरमैन प्रोफेसर शहपर रसूल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को सुरक्षा की दृष्टि से यहां पर रखा गया। उर्दू अकादमी अपने किसी भी कार्यक्रम में किसी भी तरह का कोई टिकट नहीं लगती है। चूंकि यह कार्यक्रम सुंदर नर्सरी में किया गया था, इसलिए यहां पर आने के लिए लोगों को शुल्क देना पड़ा है। उन्होंने बताया कि कायदे के अनुसार यह गलत था लेकिन उर्दू अकादमी से जुड़े लोगों ने जो फैसला लिया होगा, वह सोच समझ कर लिया होगा। उन्होंने कहा कि आगे से इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन के लिए ऐसी जगह का चयन करने पर विचार नहीं किया जाएगा जहां पर एंट्री के लिए शुल्क देना पड़ता है।

हिन्दुस्थान समाचार/ मोहम्मद ओवैस

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हिन्दुस्थान समाचार / मोहम्मद शहजाद

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