नौ धर्मों के धर्मगुरुओं ने लिया बाल विवाह मुक्त भारत का संकल्प
नई दिल्ली, 22 जुलाई (हि.स.)। सभी धर्मों में बाल विवाह की स्वीकार्यता और सामाजिक धारणाओं में महत्वपूर्ण बदलाव लाने की दिशा में एक कदम उठाते हुए, नौ धर्मों के धार्मिक नेताओं ने बाल विवाह मुक्त भारत बनाने का संकल्प लिया। ये धार्मिक नेता बाल विवाह मुक्त भारत के गठबंधन सहयोगी इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन की ओर से बाल विवाह के खिलाफ अंतर धार्मिक संवाद में इकट्ठा हुए थे।
संवाद का आयोजन बाल विवाह मुक्त भारत (सीएमएफआई) के गठबंधन सहयोगी इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन ने किया। बाल विवाह मुक्त भारत के 200 से अधिक सहयोगी गैरसरकारी संगठन 2030 तक बाल विवाह को समाप्त करने के लक्ष्य के साथ देश भर में काम कर रहे हैं। इस बात पर जोर देते हुए कि सभी बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा और विकास तक पहुंच होनी चाहिए। इन धर्मगुरुओं ने यह भी कहा कि जो भी बाल विवाह संपन्न करा रहा है या इसे प्रोत्साहित करता है, उसके खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए।
इस संवाद के महत्व पर बोलते हुए, चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया के संस्थापक और व्हेन चिल्ड्रन हैव चिल्ड्रेन: टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड मैरिज के लेखक भुवन ऋभु ने कहा, “बाल विवाह जैसे सामाजिक रूप से स्वीकृत अपराध को तभी खत्म किया जा सकता है, जब सभी समुदाय इसके खिलाफ लड़ाई में साथ आएं। आस्था, धर्म और कानून सभ्यता की आधारशिला हैं और बाल विवाह को जड़मूल से खत्म करने के लिए इन्हें मिलकर काम करने की जरूरत है। ईश्वर की नजर में सभी बच्चे समान हैं तो कानून और न्याय की नज़र में भी समान होने चाहिए। धार्मिक रीति रिवाजों की आड़ में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ अस्वीकार्य है।”
बाल विवाह के खात्मे के लिए बाल विवाह मुक्त भारत देश में जनजागरूकता अभियान चला रहा है। इसके तहत गांवों में लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाने और कानूनी हस्तक्षेपों के अलावा अपने मतावलंबियों के बीच असर रखने वाले धर्मगुरुओं को भी इससे जोड़ा जा रहा है। पूरे देश में मंदिरों, मस्जिदों और गिरिजाघरों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं और सभी धर्मों के पुरोहितों जैसे पुजारियों, मौलवियों को शपथ दिलाई जा रही है कि वे बाल विवाह नहीं कराएंगे।
हिन्दुस्थान समाचार
हिन्दुस्थान समाचार / कुमार अश्वनी / रामानुज
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