ऑपरेशन से-हॉक 2.0 के तहत फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, पूरे परिवार की मिलीभगत से चल रहा था ठगी का खेल

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ऑपरेशन से-हॉक 2.0 के तहत फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, पूरे परिवार की मिलीभगत से चल रहा था ठगी का खेल


ऑपरेशन से-हॉक 2.0 के तहत फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, पूरे परिवार की मिलीभगत से चल रहा था ठगी का खेल


नई दिल्ली, 16 दिसंबर (हि.स.)। उत्तरी जिले की साइबर थाना पुलिस ने ऑपरेशन से-हॉक 2.0 के तहत बड़ी कार्रवाई करते हुए फर्जी लोन और बीमा दिलाने के नाम पर लोगों से ठगी करने वाले एक फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया है। इस गिरोह ने ऑनलाइन इंस्टेंट लोन का झांसा देकर एक व्यक्ति से 36,050 रुपये की ठगी की थी। पुलिस ने इस रैकेट के सरगना हिमांशु कुमार और उसके पिता को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि परिवार के तीन अन्य सदस्यों को हिरासत में लिए गए हैं।

पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि तीन सितंबर को सदर बाजार निवासी मोहम्मद शुएब (31) ने एनसीआरपी पोर्टल के जरिए साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में बताया गया कि लोन की जरूरत होने पर उन्होंने कई बैंकों से संपर्क किया था। इसी दौरान 25 अगस्त 2025 को उन्हें एक अनजान नंबर से व्हाट्सएप कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को लोन एजेंट बताते हुए दस्तावेजों के साथ 2,750 रुपये फाइल प्रोसेसिंग फीस के तौर पर जमा कराने को कहा। इसके बाद ठगों ने लोन मंजूर होने का झांसा दिया और अलग-अलग बहानों से कभी अनसिक्योर्ड लोन चार्ज, तो कभी स्टांप ड्यूटी के नाम पर पैसे ऐंठते रहे। इस तरह शिकायतकर्ता से कुल 36,050 रुपये यूपीआई के जरिए हिमांशु कुमार के खाते में ट्रांसफर करा लिए गए। पुलिस ने पीड़ित के बयान पर मुकदमा दर्ज किया।

पुलिस अधिकारी के अनुसार पुलिस टीम ने कॉल डिटेल रिकॉर्ड, बैंक ट्रांजैक्शन और सोशल मीडिया की मदद से आरोपितों की पहचान की। जांच के दौरान पुलिस संगम विहार के बी-ब्लॉक में आरोपितों तक पहुंची। पूछताछ में सामने आया कि हिमांशु कुमार अपने पिता सुरेश कुमार और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर “सुराश एसोसिएट्स प्राइवेट लिमिटेड” नाम से फर्जी कॉल सेंटर चला रहा था। पुलिस ने कॉल सेंटर पर छापेमारी कर 8 मोबाइल फोन, 2 लैंडलाइन फोन, 10 लैपटॉप, वाई-फाई राउटर, चेकबुक, खातों से जुड़े रजिस्टर और कर्मचारियों के आईडी कार्ड बरामद किए। सुरेश कुमार को मौके से गिरफ्तार कर लिया गया।

पूरे परिवार की भूमिका उजागर

जांच में पता चला कि हिमांशु इस रैकेट का मुख्य आरोपित था और ब्रांच मैनेजर की भूमिका निभा रहा था। उसके भाई मोहित और रोहित, साथ ही बहन मधु रानी कॉल सेंटर के संचालन में उसकी मदद कर रहे थे। हिमांशु हर महीने ठगी से मिले पैसों में से 25 से 30 हजार रुपये अपने पिता को देता था। लगातार दबिश और दबाव के चलते पहले मोहित कुमार, रोहित कुमार और मधु रानी ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया। इसके बाद 16 दिसंबर 2025 को सरगना हिमांशु कुमार ने भी साइबर थाने में आत्मसमर्पण कर दिया, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / कुमार अश्वनी

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