रेशम की डोरी की तरह दुनिया को एक सूत्र में बांधता है प्रेमः डॉ. बीरबल झा
नई दिल्ली, 19 अगस्त (हि.स.)। “प्रेम एक ऐसी भावना और एहसास है, जिससे सृजन होता है, जबकि युद्ध और द्वेष से विनाश।’’ प्रख्यात भाषाविद्, सामाजिक उद्यमी और लेखक डॉ. बीरबल झा ने सोमवार को स्पोकन इंग्लिश के क्षेत्र में देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान ब्रिटिश लिंग्वा द्वारा आयोजित ए बॉन्ड ऑफ लव थ्रू अ सिल्की थ्रेड यानी रेशम की डोर से बंधा ये संसार विषय पर आयोजित परिचर्चा को संबोधित करते हुए ये विचार व्यक्त किया।
ब्रिटिश लिंग्वा के पटना स्थित बोरिंग रोड सेंटर पर आयोजित यह सम-सामयिक परिचर्चा को संबोधित करते हुए डॉ. बीरबल झा ने कहा, “रेशम की डोर से बंधे इस संसार में प्रेम अदृश्य होता है, जैसे रेशम की डोरी पतली होते हुए भी चीजों को मजबूती से बांधे रखती है। उसी तरह, प्रेम दुनिया को एक सूत्र में बांधकर रखता है।’’ डॉ. बीरबल झा ने प्रेम के नैशार्गिक गुण के बारे में कहा, प्रेम बांटने से ही मिलता है, न कि घृणा से। इसलिए हमें एक-दूसरे के लिए दया, सहानुभूति और सहिष्णुता रखनी चाहिए, ताकि समाज एक सूत्र में बंधा रह सके।
उन्होंने कहा कि “हमें दूध में चीनी की तरह घुल जाना चाहिए, ताकि दूध में मिठास आए, न कि नींबू की तरह व्यवहार करना चाहिए। सर्वविदित है कि दूध में नींबू का रस मिलते ही दूध फट जाता है और पीने योग्य नहीं रहता। सेव द पाग अभियान के माध्यम से लगभग 4 करोड़ मैथिलीभाषी लोगों को जोड़ने वाले झा ने आगे कहा कि इतिहास गवाह है कि लोगों ने प्रेम से ही दुनिया को जीता है।
सेलिब्रेट योर लाइफ के लेखक डॉ. बीरबल झा ने प्रेम की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए आगे कहा कि प्रेम से घृणा को दूर किया जा सकता है, जबकि घृणा से प्रेम प्राप्त नहीं हो सकता। जब आप प्रेम में होते हैं, तो सामने वाले की कोई भी कमी या गलती नजर नहीं आती, जो कि गलत है। अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद द्वारा मिथिला विभूति की उपाधि से सम्मानित डॉ. झा ने कहा कि प्रेम से हम उनकी गलतियों को सुधार सकते हैं और प्रेम के सच्चे प्रतीक बन सकते हैं।
शैक्षणिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में अपने कार्यों से पूरे देश को गौरवान्वित करने वाले डॉ. झा ने कहा कि जैसे सूई में धागा डालते समय सतर्कता बरती जाती है, वैसे ही संबंधों को निभाते समय भी एक-दूसरे की भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए, ताकि दो दिल जुड़े रहें। मिथिला के यंगेस्ट लिविंग लेजेंड उपाधि प्राप्त डॉ. झा ने आगे कहा कि रक्षाबंधन भाई और बहन के बीच के रिश्ते में समर्पण और सहयोग की भावना को दर्शाता है।
उल्लेखनीय है कि ब्रिटिश लिंग्वा सभी के लिए अंग्रेजी के नारे के साथ अंग्रेजी संचार कौशल सिखाने के लिए समर्पित एक प्रमुख संस्थान है। तीन लाख से भी अधिक युवाओं, जिनमें से लगभग 30,000 सबसे गरीब समुदायों से आने वाले बच्चों को अंग्रेजी सिखाने वाले डॉ. बीरबल झा ब्रिटिश लिंग्वा के संस्थापक एवं निदेशक हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर / प्रभात मिश्रा
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