दिसंबर के अंतिम सप्ताह में आईआईटी दिल्ली में लाइव शोकेस और मूल्यांकन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा : सिरसा
नई दिल्ली, 11 दिसंबर (हि.स.)। दिल्ली सरकार अपने इनोवेशन चैलेंज को अगले महत्वपूर्ण चरण में ले जा रही है। दिसंबर के अंतिम सप्ताह में आईआईटी दिल्ली में लाइव शोकेस और मूल्यांकन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जहां देशभर से चुनी गई सर्वश्रेष्ठ टीमों को अपने समाधान जनता के सामने पेश करने का अवसर मिलेगा।
यह कार्यक्रम इन्टरनल टेक्निकल इवैल्यूएशन कमेटी (आईटीईसी) द्वारा संचालित होगा। इस कमेटी में प्रमुख वैज्ञानिक, प्रोफेसर और पर्यावरण विशेषज्ञ शामिल हैं, जिनका लक्ष्य है ऐसी तकनीकों को पहचानना जो दिल्ली की हवा को साफ करने में व्यावहारिक, किफायती और तुरंत लागू की जा सकें। प्रारंभिक स्क्रीनिंग में करीब 300 एंट्रीज की गहन जांच हुई। अब उन बेहतरीन प्रविष्टियों को बैचवाइज आईटीईसी के सामने लाइव पिच के लिए बुलाया जा रहा है।
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने आज एक विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि यह वह चरण है “जहां आइडिया को हकीकत में बदला जाएगा”, क्योंकि अब प्रतिभागियों को दिखाना होगा कि उनका मॉडल ज़मीन पर कैसे काम करेगा और पार्टिक्युलेट मैटर (पीएम) को कितनी प्रभावी तरह कम कर सकता है।
इनोवेशन चैलेंज दो मुख्य श्रेणियों पर केंद्रित है :
(A) बीएस-IV या इससे नीचे वाले वाहनों से निकलने वाले पीएम 2.5 और पीएम 10 को कम/कैप्चर करने वाली तकनीकें।
(B) वातावरण में मौजूद पीएम2.5 और पीएम10 को कम/कैप्चर करने वाले समाधान। हर चयनित प्रतिभागी को संरचित प्रस्तुति देनी होगी और अपना प्रोटोटाइप, डिवाइस या उपकरण के रूप में दिखाना होगा।
सिरसा ने कहा कि सरकार केवल कागज़ पर बने मॉडल नहीं बल्कि जमीन पर असर दिखाने वाली तकनीकों को प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने कहा कि हम वह समाधान चाहते हैं जो पायलट से आगे बढ़कर सीधे सड़क, डिपो या हॉटस्पॉट पर लग सकें और तुरंत परिणाम दें।
शोकेस का प्रारूप: आईआईटी दिल्ली का यह आयोजन ‘ओपन-प्रेज़ेंटेशन फॉर्मेट’ में होगा, जहां इनोवेटर्स विशेषज्ञों के सामने पिच करेंगे, तकनीकी सवालों के जवाब देंगे और तत्काल प्रतिक्रिया प्राप्त करेंगे। सत्र कई दिनों तक चलेंगे और कुल 3–4 राउंड होंगे। दर्शकों में सरकारी अधिकारी, डीपीसीसी टीमें, आईआईटी दिल्ली के छात्र-एलुमनाइ और आम नागरिक शामिल होंगे।
सिरसा ने कहा कि लोगों को यह जानने का अधिकार है कि सरकार साफ-हवा तकनीकों पर फैसला कैसे लेती है, कौन-सी तकनीक चुनी जा रही है। यह फॉर्मेट उसी पारदर्शिता की दिशा में एक कदम है।
आईटीईसी प्रविष्टियों का मूल्यांकन केवल वैज्ञानिक नवाचार पर नहीं बल्कि दिल्ली की परिस्थितियों में उसकी उपयोगिता, लागत, कानूनी मानकों, और बड़े पैमाने पर लागू किए जाने की क्षमता पर करेगा। योग्य समाधान फील्ड ट्रायल और लैब टेस्टिंग तक पहुंचेंगे, जिसकी लागत डीपीसीसी दिशा-निर्देशों के अनुसार वहन करेगा। जिन तकनीकों के पास पहले से मजबूत परीक्षण रिपोर्ट होंगी, वे मूल्यांकन के बाद सीधे अंतिम समीक्षा तक जा सकती हैं।
विजेताओं को डीपीसीसी द्वारा दो चरणों में प्रोत्साहन मिलेगा। पहला 5 लाख रुपये: सफल आईटीईसी मूल्यांकन और टेस्टिंग के बाद फील्ड ट्रायल्स के लिए, दूसरा 50 लाख रुपये: एनपीएल-समकक्ष लैब द्वारा सत्यापन और सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर लागू करने के अप्रूवल के बाद। मंत्री ने कहा कि इनोवेशन चैलेंज दिल्ली की लांग-टर्म साफ-हवा रणनीति का हिस्सा है, जिसमें सख़्त निगरानी, तकनीक, नागरिक सहभागिता और वैज्ञानिक समाधान एक साथ जोड़े जा रहे हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / धीरेन्द्र यादव

