दिल्ली सरकार ने साहिबजादों की शहादत, अदम्य साहस और वीरता को दिया भावपूर्ण सम्मान
- विशेष पुस्तिका और डाक लिफाफे का हुआ विमोचन
नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स.)। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आज ‘वीर बाल दिवस’ पर त्यागराज स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में भागीदारी कर गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों के अतुलनीय साहस, अडिग आस्था और सर्वोच्च बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने कहा कि वीर बाल दिवस केवल स्मरण का दिन नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों में साहस, स्वाभिमान, राष्ट्रप्रेम और नैतिक दृढ़ता के संस्कार रोपित करने का संकल्प है।
इस विशेष आयोजन में दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री आशीष सूद, मनजिंदर सिंह सिरसा सहित वरिष्ठ अधिकारी, स्कूली छात्र तथा बड़ी संख्या में नागरिक शामिल हुए। इस अवसर पर साहिबजादों पर आधारित एक विशेष पुस्तिका तथा डाक विभाग के सहयोग से डाक लिफाफे का भी विमोचन किया गया।
साथ ही स्कूली छात्रों द्वारा गतका प्रदर्शन, वीर बाल दिवस पर आधारित 270° प्रोजेक्शन, छात्रों द्वारा तैयार रीलों का प्रदर्शन तथा शिलॉन्ग चैंबर क्वायर द्वारा देशभक्ति और वीर रस से ओतप्रोत प्रस्तुतियां भी दी गई।
मुख्यमंत्री ने साहिबजादों के चरणों में नमन करते हुए कहा कि भारत सदियों से शौर्य, त्याग और वीरता की भूमि रहा है। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों ने अत्यंत छोटी उम्र में जिस अदम्य साहस, दृढ़ आस्था और धर्मनिष्ठा का परिचय दिया, उसकी मिसाल विश्व इतिहास में कायम है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि जिस उम्र में बच्चे सामान्यतः खेल-कूद गतिविधियों में संलग्न रहते हैं, उस उम्र में साहिबजादों ने भय, आतंक और अत्याचार के सामने झुकने से इन्कार करते हुए अपने धर्म और मूल्यों की रक्षा के लिए बलिदान का मार्ग चुना। उन्होंने यह भी कहा कि लंबे समय तक इन्हें वह स्थान और सम्मान नहीं मिल पाया, जिसके वे वास्तव में अधिकारी थे। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में घोषित किया जाना इस दिशा में एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी पहल है, जिससे नई पीढ़ी अपने सच्चे नायकों से प्रेरणा ले सकेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी राष्ट्र का भविष्य उसकी युवा पीढ़ी के साहस, आत्मविश्वास और नैतिक दृढ़ता पर निर्भर करता है। इसी सोच के साथ दिल्ली सरकार शिक्षा, संस्कृति और इतिहास से जुड़े ऐसे आयोजनों के माध्यम से युवाओं को अपने गौरवशाली अतीत से जोड़ रही है ताकि वे साहिबजादों के आदर्शों से प्रेरणा लेकर निडर, जिम्मेदार और राष्ट्र के प्रति समर्पित नागरिक बन सकें।
वीर बाल दिवस के अवसर पर आज पुराना किला में आयोजित लेजर एवं लाइट शो के माध्यम से साहिबजादों की शौर्यगाथा को लाइट और साउंड के प्रभावशाली संयोजन से जीवंत किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रस्तुति इतिहास के स्वर्णिम अध्यायों को नई पीढ़ी तक भावनात्मक और प्रभावी रूप में पहुंचाने का सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार का प्रयास है कि ऐसे कार्यक्रमों के जरिए छात्रों की व्यापक सहभागिता सुनिश्चित की जाए, राष्ट्रीय गौरव और देशभक्ति की भावना को मजबूत किया जाए, नैतिक साहस और नागरिक मूल्यों का विकास किया जाए और साहिबजादों के अद्वितीय बलिदान को यादगार और सार्थक तरीके से प्रस्तुत किया जाए।
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि वीर बाल दिवस केवल एक स्मरण दिवस नहीं है। यह भारत की उस चेतना का सार्वजनिक स्वीकार है, जिसे हमने बहुत समय तक या तो अनदेखा किया या जान-बूझकर हाशिए में रखा। साहिबजादों की वीरता, उनकी शहादत, उनका शौर्य किसी समुदाय की गाथा नहीं है। यह भारत की आत्मा की गाथा है। वह आत्मा जो सत्य के साथ खड़े रहना जानती है, वह आत्मा जो अन्याय से समझौता नहीं करती है। यह वही परंपरा है जो हमें, परम पूजनीय गुरु गोविंद सिंह जी की सोच से जोड़ती है, जहां राष्ट्र, धर्म और नैतिकता अलग-अलग दिशाओं में नहीं चलते हैं, बल्कि एक ही उद्देश्य के लिए अग्रसर होते हैं।
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा वीर बाल दिवस को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान देने का निर्णय आने वाली पीढ़ियों को सही दिशा देने वाला ऐतिहासिक कदम है। बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह जी की शहादत ऐसा प्रकाश स्तंभ है, जो देश के बच्चों और युवाओं को साहस, बलिदान और धर्म की रक्षा के मूल्यों से जोड़ता है। प्रधानमंत्री की यह दूरदर्शी सोच है कि भारत के हर कोने, चाहे वह त्रिपुरा हो, अरुणाचल हो, जम्मू-कश्मीर हो या दक्षिण भारत-के प्रत्येक बच्चे तक यह गौरवशाली इतिहास पहुंचे। उन्होंने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी के परिवार की शहादतें भारत की आत्मा और मूल्यों की रक्षा का ऐसा अमर अध्याय हैं, जिन्हें सदियों तक याद रखा जाएगा। गुरु तेग बहादुर जी से लेकर चारों साहिबजादों तक, पूरे परिवार ने अत्याचार के सामने झुकने के बजाय धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। मात्र सात और नौ वर्ष की आयु में बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह जी ने जिस अदम्य साहस के साथ शहादत को स्वीकार किया, वह इतिहास में अद्वितीय है और आज के भारत को नैतिक शक्ति प्रदान करता है।”
सिरसा ने कहा कि वीर बाल दिवस राष्ट्र निर्माण के अभियान का अहम हिस्सा है। आज देश के लाखों स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थलों पर इस दिवस का आयोजन यह सुनिश्चित करता है कि उनके सर्वोच्च बलिदान की कहानी हर बच्चे और हर नागरिक तक पहुंचे।
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हिन्दुस्थान समाचार / धीरेन्द्र यादव

